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मुफ्ती-ए-आज़म हिंद हक की एक बेबाक आवाज़ थे : मुफ्ती नश्तर फारूकी

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बरेली जनमत। आला हजरत के छोटे साहिबजादे (बेटे) सरकार मुफ्ती-ए-आज़म हिंद हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद मुस्तफा रजा खान कादरी का 41वा उर्स-ए-नूरी दरगाह ताजुश्शरीया पर दरगाह ताजुश्शरीया के सज्जादानशीन काज़ी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रज़ा खां कादरी (असजद मियां) की सरपरस्ती व जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां की सदारत में मनाया गया। जमात रज़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां ने बताया प्रोग्राम दरगाह ताजुश्शरिया के अन्दर कोविद-19 गाइड लाइन का पालन करते हुए चंद उलमा-ए-इकराम की मौजूदगी में हुआ। प्रोग्राम को सारी दुनिया के अकीदतमंदों ने घर बैठे ऑनलाइन सुना और ऑनलाइन के जरिये कई देशों के लोग जुड़े। जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया उर्स-ए-नूरी का आगाज़ फजर की नमाज बाद दरगाह ताजुश्शरीया पर कुरान ख्वानी से हुआ। फिर दिन भर दरगाह आला हजरत और दरगाह ताजुश्शरिया पर मुरीदो व चाहने वालों की हाजिरी व गुलपोशी का सिलसिला चलता रहा। फिर शाम को मगरिब की नमाज बाद मिलाद की महफिल सजाई गई और हुजूर ताजुश्शरिया के कुल शरीफ़ की रस्म 07:14 मिंट पर अदा की गई। उर्स-ए-नूरी के मुख्य प्रोग्राम का आग

सांप्रदायिक सौहार्द का आईना हैं ‘मामू’ 26वीं बार कलाई पर बंधवाई राखी

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बदायूँ जनमत। देश और प्रदेश में भले ही फिरकापस्त ताकतें देश को सांम्प्रदायिकता की आग में झोंकने का प्रयास कर रहीं हों। मगर मुस्लिम समाज में ऐसे लोग भी है, जो दोनों समुदायों के लोगों के लिए साम्प्रदायिक सदभाव का आईना हैं। साम्प्रदायिक सदभाव की मिशाल बने व्यक्ति ने हिन्दू बहिन से इस बार भाई-बहन के पावन पर्व रक्षाबन्धन पर 26वीं बार राखी बंधवाई है। यही नहीं हिन्दू-मुस्लिम के इन दोनों परिवारों में ऐसी कोई शादी विवाह नहीं होते, जिनमें भाई, बहन के रिश्ते की रश्में पूरी न होती होें, कभी बहन भाई के घर तो कभी भाई बहन के घर। मुस्लिम परिवार में जन्मे ऐसा नहीं कि इस पर दबाव पड़ा हो, मगर जाति धर्म की दीबार को दर किनार कर पार किया तो इन्हीं में एक हैं ककराला के हामिद खां राजपूत। ककराला के वार्ड0 न0 20 के निवासी हामिद खां राजपूत उर्फ मामू आज भाई बहन के प्यार का प्रतीक रक्षा बन्धन पर्व अपनी धर्म बहन वेदामऊ विद्यापीठ के संस्थापक आचार्य वेदव्रत आर्य की धर्म पत्नी रामबेटी आर्या के यहां राखी बंधवाने पहुंचे उन्होंने इस साल 26वीं बार अपनी धर्म बहन से तिलक करवाया, राखी बंधबाई और बाद में बहन को उपहार भी दिया। म

दरगाह ताजुश्शरिया पर कल मनाया जाएगा 41वां उर्स-ए-नूरी

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बरेली जनमत। दरगाह आला हजरत स्थित दरगाह ताजुश्शरिया पर कल बरोज़ पीर (सोमवार) को सरकार मुफ्ती-ए-आज़म हिंद मुस्तफा रज़ा खां का 41वा उर्स-ए-नूरी दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन काज़ी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रज़ा खां कादरी (असजद मियां) की सरपरस्ती और जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां की सदारत और जमात रज़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां की देखरेख में मनाया जाएगा। जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खांन ने बताया दरगाह ताजुश्शरिया पर फजर की नमाज बाद कुरान ख्वानी होगी। शाम को 07:14 मिनट पर हुजूर ताजुश्शरिया के कुल की रस्म अदा की जाएगी और मिलाद की महफिल सजाई जाएगी। मुख्य कार्यक्रम का आगाज रात 9 बजे से शुरू हो जाएगा। जिसमें उलमा-ए-इकराम और मुफ्तियान-ए-इकराम की तकरीर होगी। फिर रात को 01:40 मिंट पर सरकार मुफ्ती-ए-आज़म हिंद के 41वां कुल शरीफ़ की रस्म अदा की जाएगी। व्यवस्थाओं में मौलाना निज़ाम, हाफिज इकराम रज़ा खां, डॉक्टर मेंहदी हसन, शमीम अहमद, मोईन खान, समरान खान, मौलाना अज़ीमुद्दीन अज़हरी, मोईन अख़्तर, अब्दुल्लाह रज़ा खां, बख्तियार खां, सैय्यद सैफ अली कादरी, नावेद आलम, गुलाम हुसैन