काँग्रेस नेता ब्रजपाल शाक्य का निधन,पढें उनका पूरा सियासी जीवन परिचय

एस०शाहिद अली ~




जनमत एक्सप्रेस । बदायूँ जिले के उसहैत क्षेत्र के ग्राम दलेल नगर निवासी ब्रजपाल सिंह शाक्य पूर्व विधायक नरोत्तम सिंह शाक्य के सुपुत्र थे । जिनको आजादी की शुरुआत से ही राजनीति बिरासत में मिली है । ब्रजपाल सिंह के पिता नरोत्तम सिंह शाक्य 1948 में पहली बार जिला परिषद के सदस्य बने थे । इसके बाद जब 1952 मेंपहली बार चुनाव आयोजित किए गए तो दातागंज साउथ और बदायूँ ईस्ट के नाम से बनी सीट से विधायक चुने गए । उसके बाद 1962 में यह निर्दलीय का चुनाव उसहैत विधानसभा से लडे और विजयी हुए । वहीं 1967 के चुनाव में नरोत्तम सिंह शाक्य को हार का सामना करना पडा । जहाँ गौरामई निवासी ब्रजपाल सिंह यादव ने जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में अपनी जीत दर्ज कराई । उसके बाद नरोत्तम सिंह शाक्य पुनः काँग्रेस से चुनाव लडे और 1972 से 1980 तक उसहैत विधानसभा से विधायक रहे । 1984 से 1989 तक एक बार फिर प्रत्याशी के रूप में उसहैत विधानसभा सीट पर कब्जा जमाये रहे । उसके बाद प्रदेश में काँग्रेस का पतन शुरू होते ही नरोत्तम सिंह शाक्य भी जीत के ताज से मायूस होते चले गए और खुद को राजनीति से अलग कर लिया । 
उनके बाद उनके पुत्र ब्रजपाल सिंह शाक्य ने राजनीति की कमान संभाली और 1991 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदानी में कूद गए । उसहैत विधान से पहला चुनाव लडा जिसमें मात्र 52 वोटों से चुनाव हार गए । उसके बाद मध्यवति चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में 1993 में एक बार फिर किस्मत आजमाई मगर हार ही हाथ लगी । इसके बाद 1996 मेंब्रजपाल सिंह शाक्य ने बहुजन समाजवादी पार्टी से दातागंज विधानसभा से चुनाव लडे जहां एक बार फिर हार का मुँह देखना पडा । 1997 में बहुजन समाजवादी पार्टी से बदायूँ से लोकसभा का चुनाव लडा जहाँ ब्रजपाल सिंह शाक्य दूसरे नम्बर पर रहे । इसके बाद 1999 में एक बार फिर बदायूँ लोकसभा का चुनाव बीएसपी के प्रत्याशी के रूप में लडा जहां फिर से पराजित होना पडा । 2002 में राष्ट्रीय एकांतवादी पार्टी से यह विधानसभा का चुनाव लडे मगर इस बार भी हार ही का सामना करना पडा । 2004 में बदायूँ लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडा मगर इस बार भी हार हासिल हुई । 1996 में बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार ने इन्हें तीन महीने के लिए पिछडा वर्ग आयोग का सदस्य चुना गया और दर्जा राज्यमंत्री का दर्जा मिला । इसके बाद इन्हें बरेली मण्डल का क्वार्डिनेटर नियुक्त किया गया और इनकी पत्नी सरिला शाक्य को पिछडा वर्ग आयोग का सदस्य बनाकर दर्जा राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया गया, जो कि 1996 से 2003 तक दर्जा राज्यमंत्री रहीं ।
ब्रजपाल सिंह शाक्य ने एक बार फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में शेखूपुर विधानसभा सीट से चुनाव लडने की ठानी थी लेकिन स्वास्थ्य खराब होने की बजह से उन्होंने अपने बेटे को राजनैतिक मैदान में उतार दिया था ।   

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