पढें मौलाना अरशद मदनी की तकरीर का वो हिस्सा जिससे बबाल खडा हो गया

जनमत एक्सप्रेस । मुल्क के अन्दर जबसे bjp की सरकार आई तबसे इनके लोगों के ज़रिये मुसलमान और ईसाई के बीच घर वापसी की तहरीक चलाई जा रही, 20 करोड़ मुसलमां और 5 करोड़ ईसाईयों की घर वापसी करवाना कोई आसान काम नहीं है,, ज़्यादातर हिन्दू भाईयों का ये ज़ेहन बिलकुल भी नहीं है अगर ऐसा होता तो तबाही और बरबादी मच जाती, क्या दूसरी कौम के लोगों ने चूडियाँ पहन रखी हैं ? हमें अम्नों अमान के साथ रहना चाहिए, मौजूदा माहौल पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो आपके लिए 2019 के रास्ते आसान न होंगे, वो तो दूर की बात है अभी एक हफते के बाद के नताएज भी आपकी ज़हनियत को ठोकर मार सकते हैं इसलिय जितनी जल्दी मुमकिन हो समरस्ता और भाई चारे को लोगों के बीच हवा दीजिए।
कांग्रेस को ही देख लीजिये, इनके 60 साला दौर में लगभग 20 हज़ार फसादात हुये, लाखो लोगों की जानें गईं आज क्या हालत हो गई है कार्यकर्ता तक मिलना मुशकिल है एक वही राहुल गाँधी है बाकी सब ढ़कोसला, हमने बार बार इनको चेताया था आखिर अल्लाह की मार लगी सब खत्म कोई नाम लेवा नहीं है।
bjp से हमारा कोई इखतिलाफ थोडी है इनसे इकतेदार की लड़ाई भी नहीं है मतभेद केवल साम्प्रदायिकता, फिरकापरस्ती और तअस्सुब वाली सोच की बुनियाद पर है, अगर ये दोगले और फिरकापरस्त वाली सोच के न होते तो जिस प्रकार से हेमंत करकरे विजय सालसकर ने कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रग्या को आतंकी गतिविधियों में बम्ब ब्लास्ट करने के केस में प्रूफ के साथ पकड़ा था, bjp वाले ज़मानत न करवाते, ऐसे सूरते हाल बनाकर बीजेपी मुल्क को बर्बाद करने के दहाने पर लेकर चल रही है मुसलमान इस देश में अपनी कुव्वते अमल से ज़िन्दा है वर्ना हुकूमतों ने उसे बरबाद करने में कोई कसर नहीं छोड रखी दलितों के साथ भी यही सेम दिक्कत है और ऐसा करने में सभी पार्टियाँ पेश पेश हैं ये पूरी तरीके से साजिश है ।
अगर इंसाफ होता तो जितने भी हादसात पास्ट में हुये हैं उनको ज़रूर जेल होती फांसी लगती नुकसानात के मुआवज़े मिलते, 60 से ज़ाएद कत्ल हो चुके हैं और मौजूदा हुकूमत इसे रोकने में पूरी तरह नाकाम रही है, आसाम की 47 लाख औरतों की नेशनलटी के मस्ले को ही ले लीजिये सरकार के लोग तो इन्हें बंगलादेशी घोषित किये फिर रहे थे जबकी आजादी के बाद 1951 की मरदम शुमारी से जो कोई भी कागजी था वो इंडियन था जबकी bjp सरकार इनको मानने को तैय्यार ही नहीं थी, आखिर सुप्रिम कोर्ट ने इन 47 लाख औरतों को शहरियत दी जबकी इसमें 25 लाख मुस्लिम और 22 लाख हिन्दू औरतें थीं, ऐसे ही बहोत सारे इंसानी मसाएल हैं ज़िसे जमीअतुल ओलमा बुलंदी के साथ मजहब से ऊपर उठकर उठा रही ।
जमीअत कोई सियासी पार्टी नहीं है जो सरकारों के बीच दखल देकर राजनिति करे हम वो लोग हैं जिसने आजादी दिलवाने में ओलमाओं की हज़ारों कुर्बानियां दीं जबकी हमसे सवाल वो लोग करते हैं जो अंग्रेजों की दलाली किया करते थे। -------------------------------------
ये जमीअत के लखनऊ इजलास में मौलाना अरशद मदनी साहब की तकरीर का वो अहम हिस्सा है जिस पर बहूत सारे लोग उंगलियां उठा रहे हैं, बताइये इसमें मौलाना ने कौनसी ग़लत बात कह दी..?

■ Mehdi Hasan Aini की पोस्ट ।

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