पढिए हिलाल बदायूँनी की रिपोर्ट, कौन थे अनवर जलालपुरी ?
जनमत एक्सप्रेस । 1. उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिला के जलालपुर कस्बे मे पैदा हुये थे। इसीलिये उन्होंने अपने नाम के आगे जलालपुरी नाम जोड़ा ।
2. दशकों से पूरे हिंदुस्तान व खाड़ी देशों में मुशायरों के संचालन के लिए विख्यात थे।
3. उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को उर्दू शायरी में उतारने का मुश्किल काम किया। जिसपर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्र अखिलेश यादव ने इन्हें प्रदेश के सर्वोच्च यश भारती पुरुस्कार से नवाज़ा।
4. उन्होंने उमर खय्याम की 72 रुबाइयों और रविंद्र नाथ टैगोर की गीतांजलि का भी उर्दू में अनुवाद किया।
5. विलक्षण प्रतिभा के धनी अनवर जलालपुरी ने प्राथमिक शिक्षा स्थानीय स्तर पर ग्रहण करने के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय से 1966 में स्नातक किया। इसके बाद 1968 में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया।
6. जलालपुर के ही नरेन्द्र देव कालेज जहां वह छात्र हुआ करते थे, वहीं अंग्रेजी के प्रवक्ता नियुक्त हुए।
7. उन्होंने सिर्फ साहित्य के क्षेत्र में ही काम किया हो ऐसा नहीं, बल्कि जलालपुर में मिर्जागालिब इंटर कालेज की स्थापना करके शिक्षा की लौ भी जलायी है। जिसके वो संस्थापक प्रबंधक थे।
शायर अनवर जलालपुरी अब हम लोगों के बीच नहीं हैंं. मुशायरों की दुनिया में अपनी मख़मली आवाज़ से लोगों के दिलों को जीतने वाले नामचीन शायर अनवर जलालपुरी ब्रेन हेमरेज के प्रभाव से हार गए. लगभग 40 साल तक लोगों के दिलों को जोड़ने वाले शायर अनवर का इस तरह छोड़कर चला जाना साहित्य जगत, उर्दू अदब के लिए गहरा धक्का है. अनवर साहब की लिखी शायरी को चार पीढ़ियों ने गुनगनाया है. जिसमें मुन्नवर राणा, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, नवाज देवबंदी तक ने अनवर साहब की शायरी लोगों तक पहुंचाई है ।
गीता का उर्दू शायरी में अनुवाद करके अनवर साहब ने दोनों मजहबों के बीच एक पुल बनाने का काम किया है. मुशायरों की जान माने जाने वाले जलालपुरी ने ‘राहरौ से रहनुमा तक‘ ‘उर्दू शायरी में गीतांजलि‘ तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण ‘उर्दू शायरी में गीता’ पुस्तकें लिखीं जिन्हें बेहद सराहा गया था. उन्होंने ‘अकबर द ग्रेट’धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे. उत्तर प्रदेश में आंबेडकर नगर जिले के जलालपुर कस्बे में पैदा होने वाले अनवर की शुरू से ही तुलनात्मक अध्ययन में खासी दिलचस्पी रही है ।
अनवर जलालपुरी खासकर मुशायरों के संचालन के लिए जाने जाते हैं. अनवर ने भारत में ही नहीं पूरे विश्व में मुशायरों को एक नया रंग दिया. एक ऐसा मंच तैयार किया जहां पर हजारों लोगों ने खुद के रंग को प्रस्तुत किया. शायरी में अनवर जलालपुरी नाम अख्तियार करने वाली इस शख्सियत को हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सर्वोच्च पुरस्कारों में शामिल यश भारती पुरस्कार से भी नवाजा गया. अनवर जलालपुरी बसपा सरकार में मदरसा बोर्ड के चेयरमैन के पद पर भी रहें. उनकी स्मृति में उनकी लिखीं कुछ रचनाएं-
रात भर इन बन्द आँखों से भी क्या क्या देखना
देखना एक ख़्वाब और वह भी अधूरा देखना
गुलों के बीच में मानिन्द ख़ार मैं भी था
फ़क़ीर ही था मगर शानदार मैं भी था
बाल चाँदी हो गये दिल ग़म का पैकर हो गया
ज़िन्दगी में जो भी होना था वह ‘अनवर’ हो गया
बुरे वक़्तो में तुम मुझसे न कोई राब्ता रखना
मैं घर को छोड़ने वाला हूँ अपना जी कड़ा रखना
वह जिन लोगों का माज़ी से कोई रिश्ता नहीं होता
उन्हीं को अपने मुस्तक़बिल का अन्दाज़ा नहीं होता
ख़राब लोगों से भी रस्म व राह रखते थे
पुराने लोग ग़ज़ब की निगाह रखते थे
मैं भी हर उलझन से पा सकता था छुटकरा मगर
मेरे गमख़ाने में में कोई चोर दरवाज़ा न था
मेरी बस्ती के लोगो! अब न रोको रास्ता मेरा
मैं सब कुछ छोड़कर जाता हूँ देखो हौसला मेरा
सच बोलते रहने की जो आदत नही होती
इस तरह से ज़ख्मी ये मेरा सर नही होता
पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे
मताए ज़िन्दगानी एक दिन हम भी लुटा देंगे ।
मशहूर शायर अनवर जलालपुरी का मंगलवार को लखनऊ में निधन हो गया। ब्रेन हैमरेज होने के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। आज सुबह 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। श्रीमदभागवत गीता का उर्दू शायरी में अनुवाद करने वाले नामचीन उर्दू शायर को प्रदेश सरकार ने यश भारती सम्मान से नवाजा था। मालूम हो कि 71 वर्षीय जलालपुरी को ब्रेन स्ट्रोक के बाद गंभीर हालत में बृहस्पतिवार देर रात केजीएमयू में भर्ती कराया गया था। वे शाम को अपने बाथरूम में गिरने के बाद से गंभीर रूप से घायल हो गये थे। बाथरुम का दरवाजा तोड़ कर उन्हें बाहर निकालने के बाद परिजनों ने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां चिकित्सकों ने उनके दिमाग में खून के थक्के, रक्तस्त्राव पाए जाने के बाद उन्हें केजीएमयू रेफर कर दिया था। ये भी पढ़ें- अधूरी हसरत लिये दुनिया से रुख्सत हो गए अनवर जलालपुरी लखनऊ के हुसैनगंज निवासी उर्दू शायर अनवर जलालपुरी के निधन से साहित्य जगत में शोक है। जलालपुर में कल बुधवार को उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा ।
2. दशकों से पूरे हिंदुस्तान व खाड़ी देशों में मुशायरों के संचालन के लिए विख्यात थे।
3. उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को उर्दू शायरी में उतारने का मुश्किल काम किया। जिसपर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्र अखिलेश यादव ने इन्हें प्रदेश के सर्वोच्च यश भारती पुरुस्कार से नवाज़ा।
4. उन्होंने उमर खय्याम की 72 रुबाइयों और रविंद्र नाथ टैगोर की गीतांजलि का भी उर्दू में अनुवाद किया।
5. विलक्षण प्रतिभा के धनी अनवर जलालपुरी ने प्राथमिक शिक्षा स्थानीय स्तर पर ग्रहण करने के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय से 1966 में स्नातक किया। इसके बाद 1968 में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया।
6. जलालपुर के ही नरेन्द्र देव कालेज जहां वह छात्र हुआ करते थे, वहीं अंग्रेजी के प्रवक्ता नियुक्त हुए।
7. उन्होंने सिर्फ साहित्य के क्षेत्र में ही काम किया हो ऐसा नहीं, बल्कि जलालपुर में मिर्जागालिब इंटर कालेज की स्थापना करके शिक्षा की लौ भी जलायी है। जिसके वो संस्थापक प्रबंधक थे।
शायर अनवर जलालपुरी अब हम लोगों के बीच नहीं हैंं. मुशायरों की दुनिया में अपनी मख़मली आवाज़ से लोगों के दिलों को जीतने वाले नामचीन शायर अनवर जलालपुरी ब्रेन हेमरेज के प्रभाव से हार गए. लगभग 40 साल तक लोगों के दिलों को जोड़ने वाले शायर अनवर का इस तरह छोड़कर चला जाना साहित्य जगत, उर्दू अदब के लिए गहरा धक्का है. अनवर साहब की लिखी शायरी को चार पीढ़ियों ने गुनगनाया है. जिसमें मुन्नवर राणा, बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, नवाज देवबंदी तक ने अनवर साहब की शायरी लोगों तक पहुंचाई है ।
गीता का उर्दू शायरी में अनुवाद करके अनवर साहब ने दोनों मजहबों के बीच एक पुल बनाने का काम किया है. मुशायरों की जान माने जाने वाले जलालपुरी ने ‘राहरौ से रहनुमा तक‘ ‘उर्दू शायरी में गीतांजलि‘ तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण ‘उर्दू शायरी में गीता’ पुस्तकें लिखीं जिन्हें बेहद सराहा गया था. उन्होंने ‘अकबर द ग्रेट’धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे. उत्तर प्रदेश में आंबेडकर नगर जिले के जलालपुर कस्बे में पैदा होने वाले अनवर की शुरू से ही तुलनात्मक अध्ययन में खासी दिलचस्पी रही है ।
अनवर जलालपुरी खासकर मुशायरों के संचालन के लिए जाने जाते हैं. अनवर ने भारत में ही नहीं पूरे विश्व में मुशायरों को एक नया रंग दिया. एक ऐसा मंच तैयार किया जहां पर हजारों लोगों ने खुद के रंग को प्रस्तुत किया. शायरी में अनवर जलालपुरी नाम अख्तियार करने वाली इस शख्सियत को हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सर्वोच्च पुरस्कारों में शामिल यश भारती पुरस्कार से भी नवाजा गया. अनवर जलालपुरी बसपा सरकार में मदरसा बोर्ड के चेयरमैन के पद पर भी रहें. उनकी स्मृति में उनकी लिखीं कुछ रचनाएं-
रात भर इन बन्द आँखों से भी क्या क्या देखना
देखना एक ख़्वाब और वह भी अधूरा देखना
गुलों के बीच में मानिन्द ख़ार मैं भी था
फ़क़ीर ही था मगर शानदार मैं भी था
बाल चाँदी हो गये दिल ग़म का पैकर हो गया
ज़िन्दगी में जो भी होना था वह ‘अनवर’ हो गया
बुरे वक़्तो में तुम मुझसे न कोई राब्ता रखना
मैं घर को छोड़ने वाला हूँ अपना जी कड़ा रखना
वह जिन लोगों का माज़ी से कोई रिश्ता नहीं होता
उन्हीं को अपने मुस्तक़बिल का अन्दाज़ा नहीं होता
ख़राब लोगों से भी रस्म व राह रखते थे
पुराने लोग ग़ज़ब की निगाह रखते थे
मैं भी हर उलझन से पा सकता था छुटकरा मगर
मेरे गमख़ाने में में कोई चोर दरवाज़ा न था
मेरी बस्ती के लोगो! अब न रोको रास्ता मेरा
मैं सब कुछ छोड़कर जाता हूँ देखो हौसला मेरा
सच बोलते रहने की जो आदत नही होती
इस तरह से ज़ख्मी ये मेरा सर नही होता
पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे
मताए ज़िन्दगानी एक दिन हम भी लुटा देंगे ।
मशहूर शायर अनवर जलालपुरी का मंगलवार को लखनऊ में निधन हो गया। ब्रेन हैमरेज होने के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। आज सुबह 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। श्रीमदभागवत गीता का उर्दू शायरी में अनुवाद करने वाले नामचीन उर्दू शायर को प्रदेश सरकार ने यश भारती सम्मान से नवाजा था। मालूम हो कि 71 वर्षीय जलालपुरी को ब्रेन स्ट्रोक के बाद गंभीर हालत में बृहस्पतिवार देर रात केजीएमयू में भर्ती कराया गया था। वे शाम को अपने बाथरूम में गिरने के बाद से गंभीर रूप से घायल हो गये थे। बाथरुम का दरवाजा तोड़ कर उन्हें बाहर निकालने के बाद परिजनों ने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां चिकित्सकों ने उनके दिमाग में खून के थक्के, रक्तस्त्राव पाए जाने के बाद उन्हें केजीएमयू रेफर कर दिया था। ये भी पढ़ें- अधूरी हसरत लिये दुनिया से रुख्सत हो गए अनवर जलालपुरी लखनऊ के हुसैनगंज निवासी उर्दू शायर अनवर जलालपुरी के निधन से साहित्य जगत में शोक है। जलालपुर में कल बुधवार को उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा ।
टिप्पणियाँ