आरक्षण पर बोले मौलाना उस्मानी : मुस्लिम आबादी को तरक्की से जोड़ना समय की आवश्यकता

बदायूँ जनमत । मोदी सरकार के दस प्रतिशत स्वर्ण आरक्षण को लेकर इस्लामिक इंटेलेक्चुअल बोर्ड ऑफ इण्डिया के नेशनल चेयरमैन मौलाना डॉ. यासीन अली उस्मानी ने बयान जारी किया है ।
इस संबंध में उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकारों और राजनीतिक पार्टियों के हित जिन मुद्दों से जुड़े होते हैं उन मुद्दों को रातों रात संविधान में संसोधन के रास्ते साफ करके भी सरकारें कानून बनाकर हल कर लेतीं है । दस प्रतिशत आर्थिक आधार पर कमजोर स्वर्ण वर्ग के लोगों  को आरक्षण की व्यवस्था करना इसका खुला हुआ उदाहरण है । 
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जब अपने राजनीतिक हितों और स्वार्थों को साधने की आवश्यकता महसूस हुई तो आनन फानन में स्वर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने को कानून बना दिया । जबकि मुसलमान पिछले दस बीस वर्षों से आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की माँग करते आ रहे हैं । मगर इनकी इस जायज माँग को यह कहकर कुछ सियासी पार्टियों और खासकर सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा यह कहकर खारिज किया जाता रहा कि संविधान में पचास प्रतिशत से अधिक आरक्षण की व्यवस्था नहीं है । इसलिए मुसलमानों की आरक्षण की यह माँग असंवैधानिक है । 
मुसलमानों की आरक्षण की माँग को इन हालातों में भी गंभीरता से नहीं लिया गया जबकि रंगनाथ मिस्र और सच्चर कमेटी दोनों महत्वपूर्ण संस्थाओं ने मुसलमानों की आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक स्थिति का गहराई के साथ आंकलन करके बहुत ही सच्चाई के साथ अपनी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया है कि मुसलमानों के पिछड़ेपन की हालत दलितों से भी नीचे है । इनके पिछड़ेपन को दूर करने व मुख्यधारा में लाने और इनके सामाजिक स्तर को उठाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाये । लेकिन इन रिपोटों के बीस वर्ष गुजर जाने के बाद भी अमल तो क्या गंभीरतापूर्वक विचार तक नहीं किया गया । अब उचित समय आ गया है कि मुस्लिम समाज की वह तमाम जातियाँ जैसे पहले एससी के आरक्षण से लाभान्वित हो रहीं थीं उनको एससी के कोटे में शामिल किया जाये । साथ ही पिछड़ी मुस्लिम जातियों को मण्डल कमीशन द्वारा जो आरक्षण मिल रहा है उसमें उनकी अवधि के अनुपात से उनके कोटे को आरक्षित किया जाये । 
बाकि बचे मुसलमानों को रंगनाथ मिस्र कमीशन और सच्चर कमेटी की सिफारिश के अनुसार उनके पिछड़ेपन को आधार मानकर आरक्षण की व्यवस्था की जाये । आरक्षण की व्यवस्था किये बगैर मुसलमानों का पिछड़ापन दूर होना असंभव है । मुल्क और कौम की शत प्रतिशत तरक्की और खुशहाली के लिए मुल्क की 15 फीसदी मुस्लिम आबादी को तरक्की से जोड़ना समय की आवश्यकता है । 
फाइल फोटो : मौलाना यासीन उस्मानी : जनमत एक्सप्रेस । 9997667313

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दबंग कांस्टेबल ने फिर कराई उसहैत पुलिस की फजीहत आधा दर्जन व्यापारियों को पीटा, बच्ची को फेंका

हैरतअंगेज: सब्जी में थूक लगाने की घटना पुलिस की ही थी साजिश, जांच के बाद दोषी सिपाही निलंबित

जश्ने शाह शराफत : तीन तलाक और परिवार विवाद से बचे मुसलमान - सकलैन मियाँ हुजूर