श्रदांजलि : भारत में शिक्षा क्रांति के जनक थे मौलाना आजाद, उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता - Janmat

बदायूँ जनमत। 11 नवंबर आज मौलाना अबुल कलाम आजाद की 132 वी जयंती पर जिला कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग बदायूं द्वारा नवादा में मदरसे के बच्चों को शिक्षण सामग्री वितरण कर मौलाना आजाद का जन्मदिन मनाया गया।
इस मौके पर जिला कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष चौधरी वफाती मियां ने कहा कि इस देश को बहुत कुछ दिया है 1888 में पवित्र शहर मक्का में जन्मे मौलाना अपने बुजुर्गों के साथ 2 वर्ष की आयु में भारत में आए थे। 11 वर्ष की आयु में उन्होंने अल हिलाल महाना माय रंग नामक उर्दू रिसाला निकाला, इनके लिए उन्हें अवार्ड से भी नवाजा गया। महात्मा गांधी के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। इस कारण अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें 3 साल जेल में भी रखा मगर मौलाना आजाद का हौसला अंग्रेजी हुकूमत के सामने पस्त नहीं हुआ। देश के आजादी दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही है। 1952 में रामपुर उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए और भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बनें। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम फैसले लिए उनमें से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना भारतीय औद्योगिक की स्थापना की केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने प्रदेश की सरकारों से सर्व भौमिक शिक्षा 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा कन्याओं की शिक्षा व्यवसायिक शिक्षा कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे कानून लागू कराए। 1992 में उन्हें भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत भारत रत्न की उपाधि भी दी गई। ऐसी शख्सियत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। महासचिव इकरार अली, कोषाध्यक्ष ताहिर उद्दीन, राज चौधरी, बाबू चौधरी, लालमिया चौधरी आदि लोग मौजूद रहे।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पिता की हत्या का आरोपी बेटा गिरफ्तार, खेत में घेरकर दो तमंचों से बरसाईं थीं गोलियां

हैरतअंगेज: सब्जी में थूक लगाने की घटना पुलिस की ही थी साजिश, जांच के बाद दोषी सिपाही निलंबित

सपा प्रत्याशी की आवभगत में लगे उसहैतवासी, सुरेंद्र बोले 'इंटर कॉलेज दोगे तब करेंगे सपोर्ट'