मेनका गाँधी जी कृपया प्रकट होइए.... पढें स्वत्रंत पत्रकार एस०शाहिद अली का लेख ।

एस०शाहिद अली !!

कौन बाप होगा जो अपने बेटे की हट को पूरा न करे । वो एक शख्स जो अपने बेटे की एक खुशी और मांग पर बरेली तक जा पहुँचा । दरअसल उसके बेटे ने जिद की थी की उसको "तोते" चाहिए । बदायूँ के रहने बाले उस शख्स ने अपने शहर में काफी खोज की लेकिन उसको कहीं तोते नहीं मिले । बेटे की जिद को किसी भी तरह पूरा करने की लालसा लिए वो शख्स किसी के कहने पर बरेली जा पहुँचा और उसने एक तोते का जोडा खरीदा । आज बेटे की एक हट (जिद) पूरी होने जा रही थी । शायद इसीलिए चेहरे पर मुस्कान लिए वो शख्स बदायूँ आ पहुँचा । रोडवेज बस से उतरकर वो शहर की ओर चलने लगा । इतने में दो चार युवकों ने आकर उसे रोका और तोतों को आजाद कर देने को कहा । उसने पूछा भाई आप लोग कौन हो और मैं इन्हें मारने नहीं बल्की पालने के लिए लाया हूँ । उन युवकों ने खुदको 'मेनका गाँधी' (सांसद) की एनिमल टीम का सदस्य बताया । उधर बेटे की जिद का सवाल था इधर कानून का डंडा । वो शख्स उन युवकों को अपने मासूम बेटे की जिद की दोहाईयाँ देने लगा लेकिन वो ठहरे सच्चे देशभक्त उन्हें तो आज वो तोते आजाद ही कराना थे । दोनों में काफी देर कहासुनी होने के बाद मामला रोडवेज चौकी पर आ पहुँचा । जहाँ पुलिस कान्सटेविलों को आका बनाकर चर्चा को जारी रखा गया । पडी लकडी को न लेते हुए उन्होंने भी तोतों को आजाद कर देने का हुकम दे डाला । खुद को लाचार और वेवस महसूस करते हुए उस शख्स ने तोतों को आजाद कर दिया और वो खाली पिंजडा लेकर घर की तरफ रवाना हो गया । इत्तेफाकन इस सारे माजरे का मैं चश्मदीद गवाह बना । उस दिन के बाद कभी भी कहीं भी किसी जानवर या परींदे पर अत्याचार होते देखता हूँ तो वो घटना एक तस्वीर बनकर सामने आ जाती है । वो घटना आज उस समय से मेरी आँखों में तवाफ कर रही है जब से मैंने सुना है कि उत्तराखण्ड में पुलिस के घायल शक्तिमान (घोडे) ने दम तोड दिया । ज्ञात हो कि उत्तराखण्ड में बीजेपी के आंदोलन के समय बीजेपी विधायक गणेश जोशी ने घोडे पर सवार एक पुलिसकर्मी पर हमला वोल दिया था । हमले में पुलिसकर्मी तो सुरक्षित रहा लेकिन उसके घोडे की एक टांग (पैर) उस जल्लाद विधायक के वारों का शिकार हो गई और टूट गई । पिछले काफी दिनों से विदेशी डाक्टर तक घायल शक्तिमान के उपचार और उसे बचाने की जद्दोजहद करते रहे लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उस बेजुवान जानवर ने आज दम तोड दिया ।
वो आरोपी विधायक खुद सांसद मेनका गांधी की पार्टी का है शायद इसीलिए मेनका जी और उनकी वो टीम आज तक खामोश हैं । एक बच्चे की हट को लेकर एक बाप को जलील और प्रताडित किया गया और एक जल्लाद से अपनेपन का रिश्ता निभाया जा रहा है ! बताइए मेनका जी क्या ये उचित है ???

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