क्या बर्दी पहनने के हकदार हैं भगौडे पुलिसकर्मी (दादरी दरोगा हत्याकाण्ड)

दादरी । दर्जन भर पुलिस वालों की मौजूदगी में एक दरौगा को गोली मार दी गई और इंस्पेक्टर होम सिंह यादव अपनी पूरी टीम के साथ वापस भाग आते हैं, घायल दरौगा अख्तर खान डेढ़ घंटे पर मौके पर तड़पते रहते हैं, गांवे के ही कुछ लोग उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचते हैं। जहां डॉक्टर उन्हें मृत घोषित कर देते हैं।

एक दर्जन पुलिस वाले अपने ही साथी को तड़पते हुऐ छोड़कर भाग खड़े हुऐ क्या ऐसे पुलिसकर्मी समाज में व्याप्त अपराध से लड़ने में सक्षम हो सकते हैं जो अपने ही साथी को मौत के मुंह में झोंक कर भाग आये हों ?
 अब यह कहकर सांत्वना देने की कोशिश की जा रही है कि अख्तर शहीद हो गये, अख्तर शहीद हो गये. यह तो सही है मगर उनको शहीद कराने में उनके ही साथी पुलिसकर्मी वालों का हाथ है, उनकी लापरवाही है।
ये पुलिसवाले अख्तर की मौत में बराबर के साझीदार हैं। ये भी उतने ही दोषी हैं जितने वे बदमाश दोषी हैं जिन्होंने अख्तर को गोली मारी थी।
ऐसे पुलिस कर्मियों को खाकी पहनने का कोई अधिकार नहीं हैं।
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