सपा ने वसीम बरेलवी को बनाया वोट बैंक मशीन...
मशहूर शायर प्रो. वसीम बरेलवी को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सदस्य नामित करके सपा ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बरेलवियों को खुश करने की एक कोशिश की है। हालांकि प्रो. वसीम की हर फिरके में अपनी खास पहचान है। वह शायर ही नहीं, शिक्षाविद और समाजसेवी भी हैं, इसलिए सूबे की अखिलेश सरकार से उनको ऐसा सम्मान मिलने की उम्मीद बहुत पहले ही पूरी हो जानी चाहिए थे लेकिन चुनाव के ऐन मौके पर उनको विधान परिषद में बैठाने के सियासी निहितार्थ समझे जाने लगे हैं।
दरगाह आला हजरत से जुड़े लोगों की सपा के प्रति नाराजगी किसी से छुपी नहीं है। मौलाना तौकीर रजा खां का दर्जा मंत्री से इस्तीफा हो या आबिद खां को दरगाह के लोगों के न चाहने के बावजूद फिर राज्य मंत्री का दर्जा मिलने की बात रही, सपा के खिलाफ नाराजगी अभी दूर नहीं हो सकी है। ऐसे में, सपा बरेलवियों को लुभाने की कवायद में जुटी हुई थी। प्रो. वसीम का मुस्लिम का मुस्लिम ही नहीं दूसरे मजहबों के लोग भी अदब करते हैं। इसको ध्यान में रखकर सपा ने उनको विधान परिषद में जगह दी है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि सपा अभी भी दरगाह से जुड़े लोगों को साधने की अपनी मुहिम जारी रखेगी लेकिन पार्टी हाईकमान का मानना है कि प्रो. वसीम को एमएलसी बनाने से भी बरेली के मुस्लिमों में सकारात्मक संदेश जाएगा और इसका फायदा विधानसभा चुनाव में मिलेगा।
दरगाह आला हजरत से जुड़े लोगों की सपा के प्रति नाराजगी किसी से छुपी नहीं है। मौलाना तौकीर रजा खां का दर्जा मंत्री से इस्तीफा हो या आबिद खां को दरगाह के लोगों के न चाहने के बावजूद फिर राज्य मंत्री का दर्जा मिलने की बात रही, सपा के खिलाफ नाराजगी अभी दूर नहीं हो सकी है। ऐसे में, सपा बरेलवियों को लुभाने की कवायद में जुटी हुई थी। प्रो. वसीम का मुस्लिम का मुस्लिम ही नहीं दूसरे मजहबों के लोग भी अदब करते हैं। इसको ध्यान में रखकर सपा ने उनको विधान परिषद में जगह दी है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि सपा अभी भी दरगाह से जुड़े लोगों को साधने की अपनी मुहिम जारी रखेगी लेकिन पार्टी हाईकमान का मानना है कि प्रो. वसीम को एमएलसी बनाने से भी बरेली के मुस्लिमों में सकारात्मक संदेश जाएगा और इसका फायदा विधानसभा चुनाव में मिलेगा।
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