उसहैत सालाना जलसे में इल्म और ईमान की मजबूती पर जोर

इल्म और ईमान मुसलमान की अहम जरूर : दिलशाद कलियरी

उसहैत (बदायूँ) । सैय्यद वेलफेयर सोसाइटी द्वारा इस साल भी छोटे इमामबाडे पर चौक बाले सैय्यद साहब के आस्ताने पर एक रोजा अजीमोशान जलसे का इन्काद किया गया । 
जलसे का आगाज अल्लाह की पाक किताब कुरआने मजीद की तिलाबत से हाफिज मुजफ्फर कादर ने किया । इसके बाद नातो मनकबत का दौर चला । 
हाफिज सैय्यद जुबैर अली ने पढा - 
चाँद टुकडे हुआ डूबा सूरज उगा पेड चलने लगा देखते देखते,
अबूजहल के हाथ में कंकडों ने भी कलमा पढा देखते देखते ।
इसहाक शाह ने पढा - 
मुकद्दर का सितारा इस कदर चमका नहीं होता,
हलीमा ने अगर सरकार को पाला नहीं होता ।
हाफिज दिलशाद सकलैनी ने पढा - 
जुल्फें सरकार से जब चेहरा निकलता होगा,
फिर भला कोई कैसे चाँद को तकता होगा । 
शायरे इस्लाम हाफिज अब्दुल कादिर मुरादाबादी ने पढा -
ये बीमार दिल अब दिखाना पडेगा,
मुझे अब मदीने को जाना पडेगा ।
मौलाना नूर मुहम्मद अपनी तकरीर से इल्म सीखने की हिदायत दी । उन्होंने कहा कि इस धोका परस्त और मतलबी जमाने से सिर्फ इल्म ही आपकी हिफाजत कर सकता है । वहीं कलियर शरीफ (उत्तराखंड) से आए मौलाना दिलशाद रजा कादरी ने हजरते साबिर पिया और हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया की सबाने हयात को पेश किया । साथ ही बलियों के मर्तबे को और उनके बसीले के दर्जात बयां किये । उन्होंने कहा कि इल्म और ईमान मुसलमान की अहम जरूर है इसलिए इसकी खोज करो और हर हाल में इल्म हासिल करो । देर रात तक चले जलसे का इक्तिदाम सलातो सलाम के साथ किया गया । इसके बाद मुल्क और कौम के साथ सुन्नी मुसलमानों के ईमान की सलामती के लिए दुआ की गई । जलसे में सैय्यद शाहिद अली, शाहनवाज खांन, मौलाना अकबर अली, शिफा हुसैन, सलीम खांन, सैय्यद अच्छन अली, हसमत अली खलीफा, अयान, तैय्यव अंसारी, नसीम मंसूरी, खालिद खांन आदि के अलावा राष्ट्रीय युवा एक्शन कमेटी का विशेष सहयोग रहा ।

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