सहसवान में हुआ आल इंडिया मुशायरा

सहसवान जनमत। बदायूँ के कस्बा सहसवान के वरटेक्स ऐंग्लो हेरिटेज कान्वेंट स्कूल के वार्षिकोत्सव में आल इंडिया मुशायरा का आयोजन किया गया जिसमें दूर दराज़ से आये नामचीन शायरों ने अपने कलाम से श्रोताओं को सुबह 5 बजे तक वाह वाह करने पे मजबूर कर दिया । मुशायरा की सदारत चैयरमैन हाजी नूरुद्दीन ने व निज़ामत युवा शायर हिलाल बदायूँनी ने की । मुशायरा में राजनीति के क्षेत्र में हाजी नूरुद्दीन को व साहित्य के क्षेत्र में कुंवर जावेद को सम्मानित किया गया । मुशायरा के अंत में चैयरमैन नूरुद्दीन ने अपने कार्यकाल में भी एक भव्य मुशायरा कराने का वादा उपस्थित जनता से  किया ।

रात दस बजे वरटेक्स ऐंगलो हेरिटेज के प्रांगण में  वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित आल इंडिया मुशायरा में जामिया मिलिया से रेहान खान सूरी , सीओ बिसौली कृष्कान्त सरोज , चैयरमैन नूरुद्दीन , आरिफ सैदपुरी आदि सभी मेहमानों ने संयुक्त रूप से शमा रौशन की । मुशायरा का आगाज़ मशहूर क़व्वाल आरिफ सैदपुरी ने नात शरीफ से किया जिसके बाद संचालक हिलाल बदायूँनी ने एक के बाद एक शायर को पेश करके मुशायरा की कार्यवाही अंजाम दी ।

मालेगाव से आये अल्ताफ ज़िया ने कहा
क़फ़स में हूँ मुझे पुरवाइयाँ आवाज़ देती हैं ।
मेरे पर खोल दो आज़ादियाँ आवाज़ देती हैं ।

शायर हाशिम फिरोजाबादी ने कहा
कह दो तो पेश कर दूँ तुम्हे अपना खूने दिल ।
मेहँदी हथेलियों पे रचाती हो किसलिए ।

रुड़की उत्तराखंड से आये हास्य कवि सज्जाद झंझट ने कहा
इतना तरसाया है शादी की तमन्ना ने मुझे ।
अब तो हर शख्स मुझे अपना ससुर लगता है ।


इंतिखाब सम्भली ने कहा
सच बोलने का दावा तो करते हैं सब यहाँ ।
सदरी से कौन रक्खे अशरफी निकाल के ।

अंदाज़ देहलवी
तेरी आवाज़ से पत्थर भी पिघल सकता है ।
तू वो लम्हा है जो सदियों को निगल सकता है ।

शायरा मेहनाज़ सिहारवी ने कहा
परवर दिगार मेरे ये कैसी हवा चली ।
मौक़ा परस्त सारे ज़माने पे छा गये ।

हास्य शायर अनगढ़ सम्भली ने कहा
जब से वो अपने मायके दिल्ली चली गयी ।
खरगोश शेर बन गया बिल्ली चली गयी।


शायरा खुशबु रामपुरी ने कहा
आओ हम दोनों करें मिलके मुहब्बत का वुज़ू ।
मैं अकेली ये इबादत नहीं करने वाली ।


कोटा से आये कुंवर जावेद ने कहा
दुनिया रही तो प्यार जन्म लेगा बार बार ।
ये आगरा का ताजमहल आखिरी नहीं ।

शायरा अंजुम देहलवी ने कहा
ग़म की लज़्ज़त को आप क्या जाने ।
इस मुहब्बत को आप क्या जाने ।

गंजडुंडवारा से आये अज़्म शकिरी ने कहा
उम्र भर जिसका इंतिज़ार किया ।
वो मिला भी तो दो घड़ी के लिए ।

निज़ामत कर रहे हिलाल बदायूँनी ने कहा
क़रीब से तेरा दीदार हो गया होता ।
मैं तेरी सुबह का अखबार हो गया होता ।


आबिद वफ़ा सहारनपुरी ने कहा
ज़मीं की गोद में हम ग़ुस्ल करके जाते हैं ।
वतन की खाक को नापाक हम नहीं करते ।

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल रामपुरी ने कहा
दर्द का कारोबार कौन करे ।
बेवफाओं से प्यार कौन करे ।


इनके अलावा ज़ीरो बांदवी , असरार नसीमी , बाक़र ज़ैदी , शाहिद गड़बड़ ,  क़ासिर सहस्वानी , मास्टर मुईज़ खान , युसूफ सहस्वानी , जमशेद सहस्वानी , अंसार हुसैन अश्क ,तहव्वर बदायूँनी, तालिब हमीद रामपुरी, फैसल सिहारवी , सरवत परवेज़ ,  आदि ने कलाम पेश किया । मुशायरा के अंत में आयोजक मुईज़ खान व संयोजक अंसार हुसैन , अब्दुल फरीद , अनीस अहमद ने सभी श्रोताओं व शायरों का आभार व्यक्त किया ।   मुशायरा में सहसवान के अलावा जनपद के अन्य नगरों क़स्बों के भी  श्रोतागण भी मौजूद रहे ।

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