वाह री वजीरगंज पुलिस ! मददगार को बना डाला गुनाहगार

बदायूँ जनमत । ज्ञात हो विगत 16 अक्टूबर सोमवार को एक इनोवा कार ने वजीरगंज थाने के कस्बा सैदपुर के निकट तीन मासूमों को रौंद दिया था । जिसमें से दो मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है और दूसरा अभी भी मौत और जिंदगी के बीच जूझ रहा है ।
इस दर्दनाक हादसे ने हर किसी के दिल को झकझोर कर रख दिया लेकिन थाना पुलिस की कार्यप्रणाली से हर कोई उसे कोसता दिखाई दे रहा है । दुर्घटना के बाद जैसे ही कस्बे में तीन बच्चों की मौत की खबर फैली तो किसी भी धर्म और जाती के लोग खुदको रोक नहीं सके और घटना स्थल की ओर दौड़ पडे । लेकिन पुलिस को लोगों की सहानुभूति हजम नहीं हुई और उसने घटनास्थल पर मौजूद भीड़ को जाम का नाम देकर सैकड़ों लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया । यहाँ सबसे बडी बात यह है कि नगर का युवा समाजसेवी शाकिर कुरैशी का नाम थाना पुलिस ने अपराधियों की हिट लिस्ट में शामिल किया है इस बात से नगरवासियों में थाना प्रभारी और स्टाफ के खिलाफ रोष पनप रहा है । क्योंकि यह वही शाकिर कुरैशी है जिसने करीब दस वर्ष पूर्व नगर के ही मोहल्ला कुरैशियान के एक मकान में भयंकर आग लगने पर आग में कूदकर महिलाओं को सुरक्षित बाहर निकाला था । बचपन से ही समाजसेवा का जज्बा दिल में समेटे शाकिर कुरैशी ने अब तक सैकड़ों हिन्दू और मुसलमानों की मदद की है । शायद यही कारण है कि वह आज थाना पुलिस और कुछ राजनीतिज्ञों की आँख का तिनका बन चुका है । सोमवार 16 अक्टूबर को जब इनोवा कार ने तीन बच्चों को रौंदा था तब भी सैकडों की भीड़ में से केवल शाकिर कुरैशी ने ही उन बच्चों को उठाकर अस्पताल तक पहुँचाया था । जनमत एक्सप्रेस ने जब चिकित्साधिकारी फिरासत हुसैन से बात की तो उन्होंने भी यही बताया कि शाकिर कुरैशी घायल बच्चों को अस्पताल में लाया था और मुझे मेरे कमरे से बुलाकर भी ले गया मैंने बच्चों का प्राथमिक उपचार कर उन्हें बदायूँ रैफर कर दिया था । इतना सब करने के बावजूद थाना पुलिस एक मददगार को गुनाहगार साबित करने में जुटी हुई है । नगरवासियों ने यह भी बताया है कि शाकिर कुरैशी और उसके कुछ दोस्तों ने घायल बच्चों को अपना खून भी दिया था और परिवार को आर्थिक मदद भी की है । 
उधर जब जनमत एक्सप्रेस ने थानाध्यक्ष ओंमकार सिंह और दरोगा जितेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि सैकड़ों लोगों ने करीब दो घंटे तक एमएफ हाइवे को जाम किया और सरकारी संपत्ति की तोडफोड की है । अब सवाल उठता है कि एमएफ अगर दो घंटे जाम कर दिया तो सैकड़ों किलो मीटर तक केवल वाहनों की कतारों ही नजर आयेंगी जबकि रोड पर ऐसा कुछ नजर नहीं आया और रहा सवाल सरकारी संपत्ति की तोडफोड का तो सैदपुर के निकट न तो कोई सरकारी दफ्तर है और न ही कोई सरकारी संपत्ति है तो तोड़फोड़ कहाँ की गई..?? लोगों का मानना है कि पुलिस वर्दी का हऊवा दिखाकर सैकड़ों बेकसूर लोगों पर कानून के विरूद्ध कार्यवाही कर रही है ।
ऐसी स्थिति में थाना पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह तो लग ही रहा है साथ ही हैरत की बात यह है कि घटना में दो मासूम की मृत्यु हुई है लेकिन पुलिस की G.D.पर केवल एक मासूम मोमीन (12) को दर्ज किया गया है और दो मासूम तौफीक और अमान को घायल दिखाया गया है ।

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