मस्जिद की जमीन न बेची जा सकती और न उपहार में दी जा सकती: ओवैसी

हैदराबाद/बेंगलुरू जनमत । ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुक्रवार देर रात अयोध्या विवाद में अदालत से बाहर समझौते के सभी प्रस्ताव खारिज कर दिए। इससे पहले दिन में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी और पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सलमान नदवी ने विवादित भूमि मंदिर के लिए देने पर सहमति जताई थी।
बेंगलुरू में श्रीश्री रविशंकर के साथ बैठक के बाद उनके बयान सामने आए थे। शुक्रवार रात हैदराबाद में हुई मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में मौलाना नदवी का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी ने बताया, 'बोर्ड अपने दिसंबर 1990 और जनवरी 1993 के प्रस्ताव पर अडिग है। बैठक में शरिया की इसी बात पर बल दिया गया कि मस्जिद की जमीन न किसी को बेची जा सकती है, न उपहार दी जा सकती है और न ही ट्रांसफर कर सकते हैं। यह अल्लाह की हो चुकी है।'
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सलमान नदवी गुरुवार को श्रीश्री रविशंकर से मिले थे। नदवी ने कुछ शर्तों पर मस्जिद दूसरी जगह बनाने पर सहमति जताई थी। इनमें विवादित ढांचा ढहाने वालों को जल्द सजा देना, मस्जिद के लिए विवादित ढांचे से दोगुनी जमीन देना और मुस्लिमों के लिए यूनिवर्सिटी खोलना शामिल था। वहीं, 1951 से अयोध्या विवाद में कानूनी लड़ाई लड़ रहे वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष फारूकी ने भी समझौते पर सहमति जताई थी। हालांकि, उन्होंने भी कहा था कि वक्फ की जमीन किसी को बेची या ट्रांसफर नहीं की जा सकती। इसके लिए कानूनी रास्ते तलाशने होंगे।


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