1979 के बाद अब होगा 15 घण्टे का सबसे लम्बा रोजा : मुफ्ती साजिद हसनी

बरेली जनमत । अहले सुन्नत रिसर्च सेंटर बरेली की ओर से मुफ्ती साजिद हसनी कादरी के आवास खुशबू इन्क्लेब में एक प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया । कुरान की तिलाबत के साथ कांफ्रेंस का आगाज हुआ । इसकी अध्यक्षता करते हुए मुस्लिम धर्म गुरू, इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने रमजान शरीफ की फजीलत के बारेे में विस्तार से जानकारियां दी । उन्होनें कहा कि 1979 के बाद इस बार लगभग 15 घण्टें कुछ मिनट का 40 साल के बाद सबसें लम्बा रोजा मुस्लमानों को रखना पड़ेगा । चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी में रोजादारों को प्यास की सिद्दत महसूस होगी, पर इसके बाद भी मजहब-ए-इस्लाम के माननें वालें इन चीजों से दूर रहकर भी अपनें रोजे पूरें करेगें । उन्होने बताया कि यदि रोजदार पांचो वक्त की नमाजें- फजर जोहर, असर, मगरिब, इशा और कुरान की तिलाबत करें और अपनें रोजे का पूरा दिन अल्लाह और उसके रसूल अलैहिससलाम के जिक्र (याद) में गुजारेगें तो उन्हें भूख व प्यास का अहसास भी नहीं होगा । बरेली चाँद की शहादत होने पर 7 मई दिन मंगलवार को खत्म सहरी 3:57 व इफ्तार 6:55 पर होगा ।
रमजान के महीनें में एक नेकी करनें के बदलें सत्तर नेकियों का सबाब मिलता है। उन्होने कहाकि रोजा रखना फर्ज है अगर किसी बड़ी बीमारी या कोई और सबब से कोई रोजा न रख सकें तो एक रोजे के बदलें लगातार 60 रोजे रखना होगे, यदि उस व्यक्ति मे 60 रोजे रखनें की ताकत नहीं तो वह 60 दिन तक लगातार गरीब फकीर को भर पेट दोनों समय खाना खिलायें। जो लोग जान-बूझकर रोजा नहीं रखतें है। तो वह लोग सख्त गुनहागार होगें और उनका मुस्लिम समाज से बायकाट किया जायेगा । यह विचार रखतें हुए मुफ्ती साजिद हसनी भावुक हो गयें, उन्होने बताया कि रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दियें जातें है और नर्ख (जहन्नम) के दरवाजें बन्द कर दियें जातें है और शैयातीन को भी पूरें माह कैद कर दिया जाता है।
जामिया खदीजा लिलबनात के डायरेक्टर मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने बताया कि कलमा, नमाज रोजा, हज, जकात पर मुस्लमानों को अमल करना चाहिए । रमजान माह में खुल्लम-खुल्ला खानें वालों को परहेज करना चाहिए ।
मुफ्ती साजिद हसनी ने बताया कि रोजे की हालत में इंजेक्शन लगवाना सुर्मा लगाना, सर में तेल डालनें से रोजा नहीं टूटता - बल्की टयूथपेस्ट और  मंजन के बारीक हिस्सें हलक से उतर गयें तो रोजा टूट जायेंगा इसलिए यह चीजे रोजे की हालत में मना है। उन्होनें आला हजरत की तहरीरकर्दा किताब फताब-ए-रजवियां के हिवाले से बताया कि खैनी, तम्बाकू, गुल करने से भी रोजा टूट जाता है। उन्होेने बताया कि जो मुसलमान साहिवे निसाब है। यानी जिनकें पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या उसके बराबर रकम हो तो उसकी उसकी ढ़ाई प्रतिशत जकात निकालना फर्ज है।  इस वक्त साढ़ें वावन तोला चांदी का मूल्य लगभग 20500 रुपये हजार रुपये है और अगर जकात नही निकाली तो गुनाहगार होगें । उन्होनें मुस्लमानों से रमजान माह में अपील की है कि यतीमों गरीबों फकीरों की मदद करना चाहिए।  क्यों इस माह में एक नेकी के बदलें 70 नेकियों का सबाब मिलता है। आखीर में मुफ्ती साजिद हसनी ने मुल्क में अमनों-अमान की दुआ मांगी ।
मुफ्ती मुहम्मद शादाब अशरफी, मौलाना अब्दुल कादिर खाँ बरकाती, मौलाना सबीहुल हसन, सकाफी फिरोज अन्सारी, मोहम्मद इमरान इमामी, मुफ्ती नूर मोहम्मद हसनी, वाजिद हुसैन कुरैशी आदि लोग मौजूद रहें।
फाइल फोटो - मुफ्ती साजिद हसनी : जनमत एक्सप्रेस । 9997667313


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