ऑल इंडिया मुशायरा : मैं खुद पर गर्व करती हूं कि हिंदुस्तां की बेटी हूँ
बदायूँ जनमत । वज़ीरगंज थाना क्षेत्र के ग्राम उरैना में रविवार रात्रि एक आल इंडिया मुशायरा का आयोजन किया गया जिसमें हिंदुस्तान के मशहूर शायर व शायरात ने शिरकत कर श्रोताओं को अपने कलाम के समाज व ज़िन्दगी के तमाम पहलुओं पर अशआर पड़े । कार्यक्रम की अध्यक्षता असरार अहमद मुज़्तर ने व संचालन मशहूर संचालक हिलाल बदायूँनी ने किया ।
रविवार रात्रि ग्राम उरैना के प्राइमरी स्कूल के पीछे शुरू हुए आल इंडिया मुशायरा का शुभारंभ शमा रौशन से हुआ जिसके पश्चात नातिया अशआर से महफ़िल का आगाज़ हुआ । नातिया शायरी के बाद ग़ज़लों का दौर चला जिसमें शायरों ने अपना कलाम बड़े ही अछूते अंदाज़ में सुनाए । मुशायरा सुबह 4 बजे तक चला एवं इस मौके पर ग्राम उरैना के अलावा क्षेत्र के सैकड़ों साहित्य प्रेमी दर्शक मुशायरा के अंत तक मौजूद रहे ।
बुलंदशहर से आये फहीम कमालपुरी ने कहा -
मुहब्बत करने वाले ज़ुल्म तो करते नहीं लेकिन ।
चलो देखो कि इस दिल को दुखाने कौन आता है ।
हसनपुर से आये वक़ार फराज़ी ने मुहब्बत की बात करते हुए कहा -
मेरी फितरत में ही बेवफाई नहीं ।
तेरी तस्वीर अब तक जलाई नहीं ।
अमरोहा से आई अंतर्राष्ट्रीय शायरा नकहत अमरोहवी ने कहा -
मेरे सब सवालों का तुम जवाब हो जाना ।
लफ्ज़ बन गयी हूँ मैं तुम किताब हो जाना ।
हास्य के नौजवान शायर अनगढ़ संभली ने कहा -
उससे शादी तो मेरी हो गयी लेकिन अनगढ़ ।
नया पैकिंग था मगर चीज़ पुरानी निकली ।
मेरठ से आई प्रसिद्ध शायरा दानिश ग़ज़ल ने कहा -
मैं हिन्दू हूँ या मुस्लिम हूँ मगर सच है यही दानिश ।
मैं खुद पर गर्व करती हूं कि हिंदुस्तां की बेटी हूँ ।
मां बाप की तारीफ करते हुए छोटा इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा
अगर माँ बाप के दिल मे उतर जाओ तो बेहतर है ।
कि उनके हुक्म की तामील कर जाओ तो बेहतर है ।
मशहूर शायर सूफियान प्रतापगढ़ी ने कहा -
दिए प्यार के मैं जलाने चला हूँ ।
मैं दीवार-ए-नफ़रत गिराने चला हूँ ।
नैनीताल से आये कवि मोहन मुंतज़िर की इन पंक्तियों को खूब सराहा गया -
लड़की ढूंढो यार हिरन जैसी कोई ।
शेरों तुम मुर्गी के पीछे मत भागो ।
रामपुर से आये तालिब हमीद ने कहा -
दिल के बुझते हुए शोलों को हवा दी जाये ।
आज भूली हुई यादों को सदा दी जाये ।
मुशायरा का संचालन कर रहे कार्यक्रम संयोजक हिलाल बदायूँनी ने कहा -
क्या मुहब्बत निभाई है मैने, दिल पे खुद चोट खाई है मैंने ।
इतने भी कीमती नहीं थे तुम, जितनी कीमत चुकाई है मैंने ।
इंतिखाब संभली ने कहा -
जिसको जवान कर दिया गुरबत में पाल के ।
वो देखता है अब हमें आँखें निकाल के ।
असरार अहमद मुज़्तर बदायूँनी ने कहा -
दिलों का फर्क मिटाओ तो कोई बात बने ।
किसी को अपना बनाओ तो कोई बात बने ।
मुशायरा में इनके अलावा नज्मे हसन प्रतापगढ़ी , असीर हतरवी, फारूक बदायूँनी, गौहर संभली आदि ने भी कलाम पेश किया । मुशायरा के अंत मे आयोजक निहाल शेख, बिलाल शेख, रियाज़ शेख, ताहिर, शमीम, नासिर व मुशायरा संयोजक हिलाल बदायूँनी ने सभी शायरों व श्रोताओं के आभार व्यक्त किया ।
रविवार रात्रि ग्राम उरैना के प्राइमरी स्कूल के पीछे शुरू हुए आल इंडिया मुशायरा का शुभारंभ शमा रौशन से हुआ जिसके पश्चात नातिया अशआर से महफ़िल का आगाज़ हुआ । नातिया शायरी के बाद ग़ज़लों का दौर चला जिसमें शायरों ने अपना कलाम बड़े ही अछूते अंदाज़ में सुनाए । मुशायरा सुबह 4 बजे तक चला एवं इस मौके पर ग्राम उरैना के अलावा क्षेत्र के सैकड़ों साहित्य प्रेमी दर्शक मुशायरा के अंत तक मौजूद रहे ।
बुलंदशहर से आये फहीम कमालपुरी ने कहा -
मुहब्बत करने वाले ज़ुल्म तो करते नहीं लेकिन ।
चलो देखो कि इस दिल को दुखाने कौन आता है ।
हसनपुर से आये वक़ार फराज़ी ने मुहब्बत की बात करते हुए कहा -
मेरी फितरत में ही बेवफाई नहीं ।
तेरी तस्वीर अब तक जलाई नहीं ।
अमरोहा से आई अंतर्राष्ट्रीय शायरा नकहत अमरोहवी ने कहा -
मेरे सब सवालों का तुम जवाब हो जाना ।
लफ्ज़ बन गयी हूँ मैं तुम किताब हो जाना ।
हास्य के नौजवान शायर अनगढ़ संभली ने कहा -
उससे शादी तो मेरी हो गयी लेकिन अनगढ़ ।
नया पैकिंग था मगर चीज़ पुरानी निकली ।
मेरठ से आई प्रसिद्ध शायरा दानिश ग़ज़ल ने कहा -
मैं हिन्दू हूँ या मुस्लिम हूँ मगर सच है यही दानिश ।
मैं खुद पर गर्व करती हूं कि हिंदुस्तां की बेटी हूँ ।
मां बाप की तारीफ करते हुए छोटा इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा
अगर माँ बाप के दिल मे उतर जाओ तो बेहतर है ।
कि उनके हुक्म की तामील कर जाओ तो बेहतर है ।
मशहूर शायर सूफियान प्रतापगढ़ी ने कहा -
दिए प्यार के मैं जलाने चला हूँ ।
मैं दीवार-ए-नफ़रत गिराने चला हूँ ।
नैनीताल से आये कवि मोहन मुंतज़िर की इन पंक्तियों को खूब सराहा गया -
लड़की ढूंढो यार हिरन जैसी कोई ।
शेरों तुम मुर्गी के पीछे मत भागो ।
रामपुर से आये तालिब हमीद ने कहा -
दिल के बुझते हुए शोलों को हवा दी जाये ।
आज भूली हुई यादों को सदा दी जाये ।
मुशायरा का संचालन कर रहे कार्यक्रम संयोजक हिलाल बदायूँनी ने कहा -
क्या मुहब्बत निभाई है मैने, दिल पे खुद चोट खाई है मैंने ।
इतने भी कीमती नहीं थे तुम, जितनी कीमत चुकाई है मैंने ।
इंतिखाब संभली ने कहा -
जिसको जवान कर दिया गुरबत में पाल के ।
वो देखता है अब हमें आँखें निकाल के ।
असरार अहमद मुज़्तर बदायूँनी ने कहा -
दिलों का फर्क मिटाओ तो कोई बात बने ।
किसी को अपना बनाओ तो कोई बात बने ।
मुशायरा में इनके अलावा नज्मे हसन प्रतापगढ़ी , असीर हतरवी, फारूक बदायूँनी, गौहर संभली आदि ने भी कलाम पेश किया । मुशायरा के अंत मे आयोजक निहाल शेख, बिलाल शेख, रियाज़ शेख, ताहिर, शमीम, नासिर व मुशायरा संयोजक हिलाल बदायूँनी ने सभी शायरों व श्रोताओं के आभार व्यक्त किया ।
ऑल इण्डिया मुशायरे में कलाम पेश करते हुए शायर : जनमत एक्सप्रेस । 9997667313 |
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