21 रमज़ान यौमे विसाल हज़रत अली: अल्लाह की खास इबादत को मुंबई की ज़करिया मस्जिद में एतकाफ में बैठे 50 रोजादार

जनमत एक्सप्रेस । माहे रमजान में की जाने वाली इबादतों में से एक एतकाफ भी है । रमजान मुबारक महीने के तीसरे अशरे यानि आखिर के 10 दिनों में कुछ मुसलमान एतकाफ में बैठते हैं । एतकाफ के लिए मुसलमान पुरुष रमजान के आखिर के 10 दिनों तक मस्जिद के किसी कोने में बैठकर इबादत करते हैं और खुद को परिवार व दुनिया से अलग कर लेते हैं ।
वहीं, महिलाएं घर के किसी कमरे में पर्दा लगाकर एतकाफ में बैठती हैं । एतकाफ के दौरान लोग 10 दिनों तक एक ही जगह पर खाते-पीते, उठते-बैठते और सोते जागते हैं और नमाज-कुरान पढ़कर अल्लाह की इबादत करते हैं । हालांकि, बाथरूम या वाशरूम जाने की उन्हें इजाजत होती है ।
एतकाफ 21 वें रमज़ान यानी मौला ए कायनात हज़रत अली शेरे खुदा के यौमे विसाल की शव शुरू होने से पहले मग़रिब के वक्त बैठा जाता है । इसी क्रम में कल मुंबई के अशरफी चौक स्थित ज़करिया मस्जिद में मुंबई व आसपास के इलाके से आए करीब 50 लोग एतकाफ में बैठे । इससे पहले पेश इमाम हज़रत शाह निज़ाम अशरफ अशरफी ने एतकाफ में बैठने वाले लोगों को एतकाफ में बैठने की फज़ीलत व एतकाफ में बैठकर करने वाली इबादत के बारे में समझाया । उन्होंने कहा कि एतकाफ में बैठने वाले को दो हज और एक उमरा का सबाब मिलता है साथ ही अल्लाह तआला उससे खुश होकर उसके सभी गुनाह माफ कर देता है ।
मस्जिद में हर रोज की तरह आज भी रोजादारों के अफ्तार का विशेष इंतज़ाम किया गया ।
मुंबई की ज़करिया मस्जिद में अफ्तार की तैयारी होती हुई : जनमत एक्सप्रेस । 9997667313

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