उर्से मख़दूम : खानकाहे अशरफिया में हुज़ूर, मौला अली, गौस पाक के बाल शरीफ व बीबी फातिमा और हुसैन की पगड़ी का दीदार कराया

अंबेडकरनगर जनमत । विश्व प्रसिद्ध सूफी संत सैय्यद मखदूम अशरफ की दरगाह के 633वे उर्स के 26वें मुहर्रम को सज्जादानशीन सैय्यद हसीन अशरफ ने अपने आवास किछौछा शरीफ से जायरीन के साथ दरगाह पहुंचे । मलंग गेट पर पोखराओं एवं मलंगों के साथ गनीदार शाह ने स्वागत किया । इसके बाद अपने संरक्षण में लेकर आस्थाने आलिया की तरफ बढ़े । मलंगाओं तथा पोखराओं ने सूफी तराना पेश किया । इससे माहौल भक्तिमय हो गया । जायरीन का हुजूम किनारे खड़े होकर सज्जादानशीन का दीदार करता रहा । सज्जादानशीन सैय्यद हसीन अशरफ ने अस्ताना ए आलिया पहुंचकर रस्म गागर अदा की तथा आए हुए जायरीन के साथ विश्व में अमन चैन की दुआ मांगी । मोहम्मद इमरान, इसरार अहमद, शोएब अशरफ, शादाब अशरफ, शाहिद सहित इंतजामिया कमेटी के वॉलंटियर मौजूद रहे ।


मुबारक तबर्रूकात के साथ पवित्र खिरका व छड़ी मुबारक के जायरीनों ने किए दर्शन :

शुक्रवार 27 मुहर्रम पर सज्जादानशीन सैय्यद मोहिउद्दीन अशरफ बसखारी शरीफ से पवित्र खिरका एवं छड़ी मुबारक का पिटारा लेकर दरगाह शरीफ पहुंचें, जहां पर पवित्र खिरका एवं छड़ी मुबारक का दर्शन जायरीन को कराया । उधर खानकाहे अशरफिया सरकारे कलां के सज्जादानशीन हज़रत सैय्यद महमूद अशरफ अशरफ़ी ने अपने छोटे भाई हज़रत सैय्यद मोहम्मद अशरफ अशरफ़ी के साथ खानकाह में हजारों मुसलमानों को तबर्रूकात मुबारक का दीदार कराया । जहाँ कमली बाले प्यारे आक़ा मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का मुऐ (बाल) मुबारक, शेरे खुदा हज़रत अली करम अल्लाह का मुऐ मुबारक, हज़रत पीराने पीर दस्तगीर हुज़ूर गौस पाक का मुऐ मुबारक और हज़रत फातिमा ज़हरा का चादर मुबारक का टुकटा और मौला इमाम हुसैन अलैहि सलाम की पगडी के टुकडे मुबारक का दीदार कराया । इस दौरान हज़रत महमूद अशरफ मियाँ की आँखें नम हो गई ।
तबर्रूकात दिखाते हुए हज़रत महमूद अशरफ की आँखें नम हो गई। 

पालकी में सवार होकर आए सज्जादानशीन :

विश्व प्रसिद्ध सूफी संत सैय्यद मखदूम अशरफ की दरगाह पर उर्स मेले के दौरान 27 मुहर्रम को आस्ताने आलिया के सज्जादानशीन एवं मुतवल्ली पालकी की सवारी कर बसखारी शरीफ से किछौछा दरगाह आते हैं। जहां पर परंपरा का रूप धारण कर लिए यह सवारी एक बार लोगों को पालकी की याद दिलाती है और यहां की नई पीढ़ियों के लिए पुरानी राजशाही सवारी की याद तरोताजा कर देती है । भले ही आज की पीढ़ी इस सवारी में बैठकर इसका आनंद न ले पाएं, सूफी संत के उर्स मेले के दौरान परंपरा के रूप में पालकी युवाओं के लिए अपनी पहचान लेकर आती है और पुराने जमाने की लोगों के यादों को पुन: तरोताजा कर देती है ।
मुरीदैन को सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बाल शरीफ का दीदार कराते हुए हज़रत महमूद अशरफ अशरफ़ी मियाँ : जनमत एक्सप्रेस । 9997667313

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