आला हज़रत अपने वक़्त के बहुत बड़े मुफ्ती युग परिवर्तक, समाज सुधारक थे : मुफ्ती साजिद हसनी

बरेली जनमत । बरेली हज सेवा समिति व अहले सुन्नत रिसर्च सेंटर के बैनर तले जश्ने इमाम अहमद रजा का आयोजन किया गया । जिसकी सरपरस्ती हाजी अताउर्रहमान पूर्वमंत्री अध्यक्ष बरेली हज सेवा समिति व अध्यक्षता इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने की ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बरेली हज सेवा समिति के सन्सथापक पम्मी खान वारसी रहे व विशिष्ट अतिथि आल इण्डिया मुस्लिम कौंसिल के राष्ट्रीय महासचिव रिज़वान बरकाती रहे ।
बरेली हज सेवा समिति व अहले सुन्नत रिसर्च सेन्टर के बैनर तले आयोजित जश्ने इमाम अहमद रजा में बोलते हुए मुस्लिम स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने आला हजरत की जीवनी को विस्तार से बताते हुए कहा कि आला हजरत सुन्नियत के इमाम है। उन्होंने 58 भाषाओं का ज्ञान हासिल किया तथा 1000 से ज्यादा किताबें हर भाषा में लिखीं। मुफ्ती साजिद हसनी ने कहा कि
इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेली का जन्म 10 शव्वाल 1272  हिजरी मुताबिक १४ जून १८५६ को बरेली में हुआ। आपके पूर्वज कंधार के पठान थे जो मुग़लों के समय में हिंदुस्तान आये थें। इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेली के मानने वाले इन्हें आलाहजरत के नाम से याद करते है। आला हज़रत बहुत बड़े मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद, युगपरिवर्तक तथा समाज सुधारक थे।
बरेली हज सेवा समिति के सन्सथापक पम्मी  वारसी कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान क़ादरी 14 वीँ शताब्दी के नवजीवनदाता (मुजद्दिद) थे । जिन्हेँ उस समय के प्रसिद्ध अरब विद्वानों ने यह उपाधी दी । उन्होंने हिंद उपमहाद्वीप के मुसलमानों के दिलों में अल्लाह सुब्हान व तआला और मुहम्मदरसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के प्रती प्रेम भर कर और मुहम्मद रसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की सुन्नतों को जीवित कर के इस्लाम का परचम बुलन्द किया ।
इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने कहा कि आला हजरत 13 वर्ष की कम आयु में मुफ्ती की श्रेणी ग्रहण की। उन्होंने 72 से अधिक विभिन्न विषयों पर 1000 से अधिक किताबें लिखीं जिन में तफ्सीर हदीस उनकी एक प्रमुख पुस्तक जिस का नाम अद्दौलतुल मक्किया है जिस को उन्होंने केवल 8 घंटों में बिना किसी संदर्भ ग्रंथों के मदद से हरम-ए-मक्का में लिखा। उनकी एक प्रमुख ग्रंथ फतावा रज्विया इस सदी के इस्लामी कानून का अच्छा उदाहरण है जो 13 विभागों में विरचित है। कन्जुल ईमान फी तर्जमतुल कुरान पूरी दुनिया में मशहूर है ।
आला हजरत के उर्स के मौके पर पूरनपुर जामिया खदीजा लिलबनात की प्रिन्सिपल मुफ्तिया रेशमा खानम अमज़दी द्वारा तालीमात ए आला हजरत व मुफ्ती साजिद हसनी कादरी द्वारा तजकिरा-ए-इल्म व उलेमा व इन्डिया में पहली बार दो मुजदिदो आला हजरत और इमामे रब्बानी पर रिसर्च की गयी । किताब इमामे दीन मुजद्दिद  अल्फसानी व इमाम अहमद रजा. नवीन ईशाअत का विमोचन किया गया और उर्स के मौके पर  नौ महला बरेली मे फ्री में पुस्तकें बांटी गयीं।
रिज़वान बरकाती ने कहा कि मुफ्ती साजिद हसनी ने 2011  में आला हजरत और इमामे रब्बानी पर रिसर्च किया इंग्लिश उर्दू अरबी फारसी चार जुबान में इस किताब को लिखा पूरी दुनिया में इस पुस्तक की मांग हो रही है
अहले सुन्नत रिसर्च सेंटर के डिवीजनल अध्यक्ष मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने काइद ए मिल्लत सय्यद महमूद अशरफ अशरफीउल जीलानी सज्जादा नशीन किछौछा शरीफ की ओर से 101 वे उर्से आला हजरत के मौके पर फूलों की चादरे पेश कर खिराजे अकीदत पेश किया ।
इस मौके पर पम्मी खान वारसी, मुफ्ती साजिद हसनी कादरी, मोहम्मद सलमान सलमानी, रिज़वान बरकाती, कैफी खान, मौलाना अब्दुल कादिर खाँ बरकाती, मौलाना शैख सबीहुल हसन, जावेद खा, गुड्डू, हनीफ साबरी, सुहेल अहमद आदि लोग मौजूद रहे ।

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