अजित पवार पर भरोसा क्यों किया ? इस सवाल को लेकर भाजपा में कलह, अमित शाह ने ये दिया जवाब

मुंबई जनमत । महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन इन सबके बीच सियासी फिजाओं में यह सवाल अभी भी तैर रहा है कि आखिर बीजेपी ने अजित पवार पर दांव क्यों लगाया था। बीजेपी के भीतर से भी इस पर सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाए हैं। अजित पवार का समर्थन लेने पर बीजेपी के नेता घुमा-फिराकर जवाब दे रहे हैं। इस बीच, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि विधायक दल का नेता होने के कारण पार्टी ने उन पर भरोसा किया था, हालांकि फडणवीस 'सही समय' पर जवाब देने की बात कहते हुए चुप्पी साध गए ।

CM पद का लालच देकर समर्थन देना खरीद-फरोख्त : शाह

बीजेपी अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी चुनौती दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद का लालच देकर समर्थन लेना खरीद-फरोख्त नहीं है क्या? उन्होंने कहा, 'मैं शरद जी और सोनिया जी को कहता हूं कि एक बार बोलकर देखें कि मुख्यमंत्री उनका होगा और फिर शिवसेना का समर्थन लें। लगभग 100 सीटों वाला गठबंधन 56 सीट वाली पार्टी को मुख्यमंत्री पद दे रहा है, ये खरीद-फरोख्त ही है।'
गृह मंत्री अमित शाह ने एक अन्य ट्वीट कर कहा कि शिवसेना के सभी विधायक हमारे साथ लड़कर ही चुनाव जीते हैं। उनका एक भी विधायक ऐसा नहीं है, जिसने मोदी जी का पोस्टर ना लगाया हो। उनकी विधानसभाओं में बीजेपी की विधानसभाओं से भी बड़े कटआउट्स मोदी जी के लगे थे। क्या ये सब देश और महाराष्ट्र की जनता नहीं जानती है ?

शाह बोले, इसलिए लिया अजित पवार का समर्थन..

इससे पहले अमित शाह ने बुधवार को एक न्यूज चैनल से बाचतीत में अजित पवार से समर्थन लेने के सवाल का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'अजित पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता चुना गया था। उन्हें सरकार बनाने के लिए अधिकृत किया था। राज्यपाल ने भी सरकार बनाने को लेकर उनसे ही बात की थी। एनसीपी ने जब पहली बार सरकार बनाने में असमर्थता जताई तो उस पत्र पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे। अब हमारे पास जो समर्थन पत्र आया, उस पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे।' शाह ने बताया, 'उनके समर्थन के बाद ही हमने सरकार बनाने की पहल की। उसके बाद उन्होंने समर्थन न होने की बात कहकर इस्तीफा दे दिया। इस कारण बीजेपी के पास भी बहुमत नहीं रहा।' इस दौरान अजित पवार से जुड़े केस वापस लिए जाने के सवाल पर शाह ने कहा कि उनसे जुड़ा कोई केस वापस नहीं लिया गया है ।

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