प्रशासन ने लोकमोर्चा संयोजक को नहीं दी आतंकवाद के खिलाफ उपवास की परमीशन

बदायूँ जनमत । प्रदेश के योगी राज में आतंकवाद के विरुद्ध उपवास करना भी अपराध हो गया है । नागरिकों को संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी को छीन लिया गया है । उत्तर प्रदेश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है । उक्त बातें लोकमोर्चा संयोजक अजीत सिंह यादव ने आज आतंकवाद के विरुद्ध उपवास के लिए प्रशासन द्वारा अनुमति न दिए जाने पर कहीं ।
वे जम्मू - कश्मीर में आंतकवादियों के साथ पकड़े गए पुलिस डीएसपी दबिन्दर सिंह की संसद हमले और पुलवामा हमले समेत आतंकी घटनाओं में जांच की मांग सहित आतंकवाद के खिलाफ आज 18 जनवरी को अम्बेडकर पार्क बदायूँ में एक दिवसीय उपवास पर बैठना चाहते थे । उपवास कार्यक्रम की अनुमति के लिए लोकमोर्चा संयोजक ने कल नगर मजिस्ट्रेट से वार्ता की थी और उन्हें अनुमति हेतु प्रार्थना पत्र सौंपा था । लेकिन आज प्रशासन ने उपवास की अनुमति यह कहते हुए नहीं दी कि अजीत सिंह यादव को पिछले दिनों नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में धरना करते हुए गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है और उनके उपवास से शांति व्यवस्था भंग होने का खतरा है ।
ज्ञात हो कि 11 जनवरी को जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह को दो आतंकियों के साथ हिरासत में लिया गया था जिनको वे 26 जनवरी को आतंकी घटना को अंजाम देने दिल्ली ले जा रहे थे ।

श्री यादव ने कहा कि गिरफ्तारी के समय डीएसपी दबिन्दर सिंह ने कहा कि यह एक खेल है, खेल खराब मत करो, इससे साबित होता है कि इस खेल के बड़े खिलाड़ी अभी पकड़ से बाहर हैं । देश की सुरक्षा के लिए इन बड़े खिलाड़ियों का पकड़ा जाना जरूरी है । संसद हमले के आरोप में फांसी की सजा पा चुके अफजल गुरु ने भी सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में इसी डीएसपी दबिन्दर सिंह का जिक्र किया था । इस सबके खुलासे के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच जरूरी है ।
हम उपवास के द्वारा केंद्र सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराना चाहते थे कि देशहित में संसद हमले, पुलवामा हमले समेत आतंकी घटनाओं में डीएसपी दबिन्दर सिंह की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराई जाए । लेकिन हमें प्रशासन ने उपवास नहीं करने दिया ।
उन्होंने कहा कि योगी का जो प्रशासन हमें शांतिपूर्ण उपवास की नहीं करने दे रहा है इसी प्रशासन ने 12 जनवरी को भाजपा की सभा और शहर में जुलूस की अनुमति दी थी । और पूरे जिले में भाजपा को पदयात्रा, जुलूस निकाल कर नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में झूठा प्रचार कर जनता को गुमराह करने की छूट दी गई है । लेकिन हमें नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करने और जनता को सच्चाई बताने और शांतिपूर्ण धरना करने पर जेल भेज दिया गया ।
प्रशासन पूरी तरह भाजपा के एजेंट की भूमिका में काम कर रहा है । प्रशासनिक अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि उनको वेतन भाजपा के खाते से नहीं बल्कि जनता के खजाने से मिलता है । उन्होंने जो संविधान की शपथ ली है उसको याद कर भाजपा के एजेंट की भूमिका छोड़ कर निष्पक्ष काम करना चाहिए ।

उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी, एनपीआर और बेरोजगारी, मॅहगाई के विरुद्ध संविधान की रक्षा के लिए और संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा ।


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