अभिनेता इरफान खाँन की मौत, वर्सोवा कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक हुए जनाजे में शामिल हुए 20 लोग
मुंबई जनमत । देश जिस वक्त कोरोनावायरस जैसे एक महासंकट से जूझ रहा है, उस मायानगरी मुंबई से दिल तोड़ने वाली खबर सामने आई है। अपनी अदाकारी से जादू करने वाले अभिनेता इरफान खान हम सबको सदा के छोड़ कर चले गए। बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता इरफान खान का निधन हो गया है। वो 53 साल के थे और काफी समय से कैंसर से जंग लड़ रहे थे। इरफान खान की तबीयत अचानक खराब हो गई थी, जिसकी वजह से उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कई घंटों तक मौत से लड़ने के बाद बुधवार को सुबह उनकी मौत हो गई।
मुंबई के वर्सोवा कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया इरफान खान का शव...
इरफान खान की मौत के बाद आज सुबह उनका शव मुंबंई स्थित कब्रिस्तान लाया गया। कोरोनावायरस संकट के बीच इरफान खान के अंतिम संस्कार में उनका शव घर भी नहीं ले जाया गया। कब्रिस्तान में परिवार और करीबियों के महज 20 लोग ही शामिल हो सकें। इरफान खान के पार्थिक शरीर को मुंबई, वर्सोवा कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जिस कब्रिस्तान में इरफान खान का शव दफनाया गया उसके बाहर लोग खड़े नजर आए। दोपहर 3 बजे के बाद इरफान खान को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
दो- दो लोगों को अंतिम दर्शन के लिए भेजा गया...
इरफान के जाने की खबर सुनकर पूरा बॉलीवुड सदमें में हैं। इरफान खान की अंतिम यात्रव में उनके फैंस शामिल होनेा चाहते थे लेकिन पुलिस प्रशासन ने कोरोनावायरस के चलते उन्हें इजाजत नहीं दी। फिल्म इंडस्ट्री के नामी लोग भी कब्रिस्तान के बाहर मास्क पहने नजर आए। उनके परिवार के लोगों को उनके अंतिम दर्शन के लिए दो दो करके भेजा गया।
20 लोगों की मौजूदगी में उन्हें दफनाया गया...
उनके अंतिम संस्कार को लेकर कड़ी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की गई। कोरोना के कारण बॉलीवुड के कलाकारों और उनके इरफान के फैंस को अंतिम यात्रा में शमिल होने की इजाजत न होने के कारण उन्हें अंतिम यात्रा में केवल 20 लोगों को ही शामिल होने की इजाजत दी गई। बेहद सीमित लोगों की उपस्थिति में इरफान का अंतिम संस्कार किया गया।
2018 में इरफान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर का पता चला था....
गौरतलब है कि इरफान खान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर हुआ था। मार्च 2018 में इरफान को अपनी बीमारी का पता चला था। इसका उन्होंने लंदन में इलाज भी कराया था। अप्रैल 2019 में भारत लौटने के बाद इरफान ने 'अंग्रेजी मीडियम' फिल्म की शूटिंग की थी। मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले इरफान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के छात्र रह चुके थे। छोटे पर्दे पर उन्होंने ‘भारत एक खोज' में भी काम किया था। इसके बाद वो फिल्मों में आए। 'मकबूल', 'लाइफ इन अ मेट्रो', 'द लंच बॉक्स', 'पीकू', 'हिंदी मीडियम', 'हासिल', 'पान सिंह तोमर' जैसी फिल्मों ने उन्हें एक अलग मुकाम दिया।
मुंबई के वर्सोवा कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया इरफान खान का शव...
इरफान खान की मौत के बाद आज सुबह उनका शव मुंबंई स्थित कब्रिस्तान लाया गया। कोरोनावायरस संकट के बीच इरफान खान के अंतिम संस्कार में उनका शव घर भी नहीं ले जाया गया। कब्रिस्तान में परिवार और करीबियों के महज 20 लोग ही शामिल हो सकें। इरफान खान के पार्थिक शरीर को मुंबई, वर्सोवा कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जिस कब्रिस्तान में इरफान खान का शव दफनाया गया उसके बाहर लोग खड़े नजर आए। दोपहर 3 बजे के बाद इरफान खान को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
दो- दो लोगों को अंतिम दर्शन के लिए भेजा गया...
इरफान के जाने की खबर सुनकर पूरा बॉलीवुड सदमें में हैं। इरफान खान की अंतिम यात्रव में उनके फैंस शामिल होनेा चाहते थे लेकिन पुलिस प्रशासन ने कोरोनावायरस के चलते उन्हें इजाजत नहीं दी। फिल्म इंडस्ट्री के नामी लोग भी कब्रिस्तान के बाहर मास्क पहने नजर आए। उनके परिवार के लोगों को उनके अंतिम दर्शन के लिए दो दो करके भेजा गया।
20 लोगों की मौजूदगी में उन्हें दफनाया गया...
उनके अंतिम संस्कार को लेकर कड़ी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की गई। कोरोना के कारण बॉलीवुड के कलाकारों और उनके इरफान के फैंस को अंतिम यात्रा में शमिल होने की इजाजत न होने के कारण उन्हें अंतिम यात्रा में केवल 20 लोगों को ही शामिल होने की इजाजत दी गई। बेहद सीमित लोगों की उपस्थिति में इरफान का अंतिम संस्कार किया गया।
2018 में इरफान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर का पता चला था....
गौरतलब है कि इरफान खान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर हुआ था। मार्च 2018 में इरफान को अपनी बीमारी का पता चला था। इसका उन्होंने लंदन में इलाज भी कराया था। अप्रैल 2019 में भारत लौटने के बाद इरफान ने 'अंग्रेजी मीडियम' फिल्म की शूटिंग की थी। मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले इरफान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के छात्र रह चुके थे। छोटे पर्दे पर उन्होंने ‘भारत एक खोज' में भी काम किया था। इसके बाद वो फिल्मों में आए। 'मकबूल', 'लाइफ इन अ मेट्रो', 'द लंच बॉक्स', 'पीकू', 'हिंदी मीडियम', 'हासिल', 'पान सिंह तोमर' जैसी फिल्मों ने उन्हें एक अलग मुकाम दिया।
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