मोहर्रम की 7वीं आज, दहशतगर्दी के खिलाफ थी कर्बला की जंग - अहसन मियां

बरेली जनमत। दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन व टीटीएस के आलमी सदर मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने बरेली स्थित टीटीएस मुख्यालय पर कर्बला के 72 शहीदों को याद किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को मुहर्रम से जोड़कर देखा जाए तो यह उस दौर का आतंकवाद था। आज हिंदुस्तान ही नही, बल्कि दुनिया के कई मुल्क दहशतगर्दी का शिकार हैं। हज़रत इमाम हुसैन ने भी यजीद नाम के दहशतगर्द के हाथों बैत मंज़ूर नहीं की। हालांकि पूरा घर का घर लुटा दिया लेकिन मज़हब-ए-इस्लाम पर आँच न आने दी।

उन्होंने कहा कि हज़रत इमाम हुसैन ने इंसानियत की खातिर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। उनकी शहादत इस बात की गवाह है कि ज़ुल्म इस्लाम का हिस्सा नही है। हज़रत इमाम हुसैन का मकसद दुनिया को यह पैगाम देना था कि इंसान सच्चाई की राह पर सब्र का दामन थामे रखे तो उसे कामयाब होने से कोई नही रोक सकता। हम लोग जब तक अहले बैत का दामन थामे रहेंगे कभी गुमराह नही होगें। कर्बला के मैदान में 1400 साल पहले लड़ी गई जंग हक़ और बातिल की जंग थी। उसमें हक़ की जीत हुई और बातिल की हार। इस जंग में हज़रत इमाम हुसैन हारकर भी जीत गए और यजीद जीतकर भी हार गया जिसे रहती दुनिया तक नही भुलाया जा सकता। नवीं और दसवीं मोहर्रम को घरों में कुरानख्वानी, नियाज़ ओ नज़्र, लंगर और सबील का एहतेमाम सोशल डिस्टनसिंग के साथ करें। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि इस मौके पर उलेमा मौजूद रहे। फातिहा के बाद मुफ़्ती अहसन मियां ने मुल्क से कोरोना वाइरस के खात्मे की दुआ की।

(रिपोर्ट : अरशद रसूल)



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