बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर सीबीआई कोर्ट का फैसला न्याय की हत्या : लोकमोर्चा

बदायूँ जनमत। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी 32 अभियुक्तों को दोषमुक्त करने का लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट का आज 28 साल बाद आया फैसला न्याय , कानून और संविधान की हत्या जैसा है। 

आज उक्त बयान जारी करते हुए लोकमोर्चा संयोजक अजीत सिंह यादव ने कहा कि भाजपा -विहिप -आरएसएस के सभी शीर्ष नेता जो मस्जिद को ध्वस्त करने के आपराधिक कृत्य का मार्गदर्शन कर रहे थे उन्हें अदालत ने निर्दोष माना है तो सवाल उठता है कि  क्या मस्जिद खुद ही अपने आप गिर गई ।

पूरी दुनिया ने आरएसएस -भाजपा -विहिप के शीर्ष नेताओं को मस्जिद का विध्वंस कराते देखा लेकिन अदालत द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया। इससे जाहिर होता है कि अब भारत में न्याय , कानून और संविधान का शासन नहीं रह गया है और  साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों ने संवैधानिक लोकतंत्र की सभी संस्थाओं को अपने कब्जे में ले लिया है ।

देश में संवैधानिक लोकतंत्र के होने पर प्रश्नचिन्ह लग गया है । आरएसएस -भाजपा और मोदी सरकार  संवैधानिक लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य का  मृत्युलेख लिख रहे हैं और देश को फासीवाद के रास्ते पर लेकर बढ़ चले हैं। आरएसएस-भाजपा के इस फासीवादी प्रोजेक्ट के दो लक्ष्य हैं । पहला उद्देश्य है खेती, किसानी, जल, जंगल, जमीन समेत  देश के संसाधनों, जनता की पूंजी और उससे लगे पब्लिक सेक्टर पर देशी विदेशी बड़े पूँजीघरानों का कब्जा कराना । दूसरा उद्देश्य है सवर्ण सामंती ताकतों का वर्चस्व कायम कराना और  अल्पसंख्यकों , आदिवासियों , दलितों , पिछड़ों महिलाओं , बंचितों को दूसरे दर्जे का नागरिक बना देना।

भारत के सर्वांगीण विकास के लिए , सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय की गारंटी के लिए जरूरी है कि इस फासीवादी प्रोजेक्ट को परास्त किया जाए और जनता के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारतीय गणराज्य के निर्माण की अधूरी यात्रा को मंजिल तक पहुंचाया जाए।



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