81वां उर्स-ए-हामिदी: इस्लाम की हक्कानियत की दलील थे हुज्जातुल इस्लाम - मुफ्ती अफ़जाल रज़वी

बरेली जनमत। आला हजरत के बड़े साहिबजादे (पुत्र) सरकार हुज्जातुल इस्लाम हज़रत अल्लामा शाह मुफ्ती मोहम्मद हामिद रज़ा खाँ (हामिद मिया) का 81वा एक रोज़ा उर्स-ए-हामिदी दरगाह ताजुश्शरिया पर जानशीन-ए-ताजुश्शरिया काजी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रज़ा खाँ कादरी (असजद मियां) की सरपरस्ती और जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मिया की सदारत व जमात रज़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां की निगरानी में अदा की गई। उर्स-ए-हामिदी का आगाज बाद नमाज-ए-फ़ज़र दरगाह ताजुश्शरिया पर कुरानख्वानी से हुआ। शाम को बाद नमाज-ए-मगरिब सरकार ताजुश्शरिया के कुल शरीफ की रस्म 07 बजकर 14 मिंट पर अदा की गई। इस से पहले दरगाह आला हजरत और दरगाह ताजुश्शरिया पर दिन भर जायरीनो का हाजरी और गुलपोशी का सिलसिला चलता रहा। जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया उर्स-ए-हामिदी के मुख्य कार्यक्रम का आगाज बाद नमाज-ए-ईशा हाफिज आलम रज़ा ने कुरान शरीफ की तिलावत से किया। नातख्वा सैय्यद कैफ़ी अली, नईम रज़ा तहसीनी और मुस्तफा मुर्ताजा अज़हरी ने हुज्जातुल इस्लाम की शान में नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया। देश भर से आए उलेमा ने हुज्जातुल इस्लाम की जिंदगी पर रोशनी डाली। मुफ्ती अफजाल रज़वी ने कहा इस्लाम की हक्कानियत की दलील थे हुज्जातुल इस्लाम। सरकार हुज्जातुल इस्लाम आला हजरत बड़े सपूत है। मौलाना शकील रज़ा रामपुरी ने कहा उस वक़्त इल्मी दुनिया में आपसे बढ़कर अरबी भाषा का माहिर शायद ही कोई और होगा। जिसको अरब के सैय्याद हुसैन दब्बाग साहिब ने भी स्वीकार किया है। जिसको आप की जीवनी मे स्पष्ट किया गया है आप ने वालिद के साथ हिन्दुस्तान की आजादी में कठिन परिश्रम किया है। आप अनेक प्रकार की विशेषताओं के मालिक थे, जिन्हें सदैव याद रखा जायेगा। मुफ्ती शाहिद, मुफ्ती बहाऊल मुस्तफा, कारी कौसर रजा ने भी हुज्जातुल इस्लाम की फ़जीलत और तालीमात पर खिताब किया। रात को 10 बजकर 35 मिंट पर हुज्जातुल इस्लाम के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। फातिहा हाफिज अब्दुल सत्तार रज़ा ने पढ़ी। मुफ्ती असजद मिया ने शिज़रा शरीफ पढ़ा और ओमिक्रॉन जैसी बीमारी के खात्मे के लिए खुसूसी दुआ की। महफिल की निजामत (संचालन) मौलाना नाजिम रज़ा ने की। आईटी सेल प्रभारी अतीक अहमद हशमती ने प्रोग्राम का विश्व भर में ऑनलाइन प्रसारण किया।
इस मौके पर हुस्साम मियां, हुम्माम मियां, मुफ्ती आशिक़ हुसैन, मुफ्ती नश्तर फारुकी, मौलाना शम्स रज़ा, मौलाना सैय्यद अज़ीमुद्दीन अज़हरी, सैय्यद सैफ अली कादरी, सैय्यद फुरकान मिया (रामपुर), डॉक्टर मेहंदी हसन, मोईन खान, अब्दुल्लाह रज़ा खाँ, समरान खान, बख्तियार खाँ, अतीक अहमद, दानिश रज़ा, मोईन अख्तर, गुलाम हुसैन आदी लोग मौजूद रहे।


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