मौला अली का यौमे बिलादत: अल्लाह वालों के ज़िक्र से ईमान को ताज़गी मिलती है - हाफ़िज़ इरफान

बदायूँ जनमत। हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्ह का यौमे विलादत का जश्न बड़ी जोशो खरोश के साथ आज जिले भर में मनाया गया। वहीं सहसवान के मदरसा इस्लामहुल मुस्लेमीन मोहल्ला नवादा में भी इसका आयोजन हुआ।
महफ़िल का आगाज़ क़ुरान की तिलावत से हुआ। जिसकी सदारत मदरसा के नाज़िम ए आला हफीज़ो क़ारी अब्दुल हादी साहब ने की। मदरसा के तालिबे इल्म हाशिम रज़ा ने हम्द पेश की। मदरसा के सदर व पूर्व जिला पंचायत सदस्य हाफिज़ इरफान ने अपनी तक़रीर में हज़रत अली की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि आप खातून ए जन्नत हज़रत फ़ातिमा ज़हरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के शौहर हैं। हज़रत इमाम हसन और हुसैन के वालिद हैं और औलिया अल्लाह के पेशवा हैं। आप शेर ए खुदा हैं, आपकी शुजाअत का आलम ये है कि आपने ख़ैबर के किला को फतह किया था। जो बहुत बड़ी फतह है। अल्लाह के रसूल सल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम ने आपको बाबुल उलूम यानी इल्म का दरवाजा कहा। हज़रत अली इस्लाम के चौथे खलीफा हैं। आपकी विलादत 13 रजब को हुई। आगे कहा कि इसलिए बुजरगाने दीन के यौमे विलादत या यौमे शहादत मनाते हैं कि उनके ज़िक्र से हमारे ईमान को ताज़गी हासिल होती है। महफ़िल के अंत में फातिहा ख्वानी हुई और मुल्क में अमनो अमन के लिए दुआ की गई। इस मौके पर हाफिज़ राशिद हुसैन, ताहिर हुसैन, अजमल हुसैन, शमशाद मिस्त्री, इल्यास अंसारी, मौहम्मद उमर, ज़मीरुल हसन मदरसे के तमाम तालिबे इल्म मौजूद रहे।


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