आबिद का कहना सही : दाढ़ी और टोपी को नज़रअंदाज़ करने लगी 'नई सपा'

बदायूँ जनमत। कल शनिवार को बदायूं में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की जनसभा में सपा अल्पसंख्यक सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्वमंत्री मौलाना डॉ यासीन उस्मानी का न होने चर्चा का विषय बन चुका है। पार्टी के बुरे वक्त में बैसाख़ी का काम करने वाले मौलाना यासीन उस्मानी को इस तरह नज़रअंदाज़ करने पर लोग पूर्वमंत्री आबिद रज़ा की तकरीर को सही ठहरा रहे हैं। 
लोगों का कहना है कि आबिद रज़ा का एक जुमला कि 'नई सपा में मुसलमान सफा' काफी हद तक सही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव या जिलाध्यक्ष प्रेमपाल सिंह यादव को अब शायद दाढ़ी और टोपी से कोई मतलब नहीं रहा। 
अखिलेश की जनसभा में पूर्वमंत्री मौलाना डॉ यासीन उस्मानी का होना मुसलमानों को खलने लगा है शायद इसीलिए जिले के बाद अब मंडल भर में इस बात को लेकर विरोध शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि सपा मौलाना को हमेशा आबिद रज़ा के खिलाफ़ इस्तेमाल करती थी, इसीलिए उनको धर्मेन्द्र अहमियत देते थे अब उन्हें नये नये मुस्लिम चेहरे मिल गये हैं। शायद इसीलिए मौलाना को अखिलेश यादव के मंच से अब दूर रखा गया था। अब भारी संख्या में लोग आबिद रज़ा की बात से सहमति जाहिर करने लगे हैं। 


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